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भगवतीसूत्रे छाया-वानव्यन्तरज्योतिष्कवैमानिका यथाऽसुरकुमाराः नवरं वेदनायां नानात्वम् , मायिमिथ्यादृष्टयुपपन्नकाचाल्पवेदनतराः, अमायिसम्यग्दृष्टयुपपन्नकाश्च महावेदनतरा भणितव्याः ज्योतिष्कवैमानिकाः ॥ सू०८॥
___टीका—' वाणमंतरजोइसवेमाणिया ' वानव्यन्तरज्योतिष्कवैमानिकाः 'जहा असुरकुमारा' यथा असुरकुमाराः, वानव्यन्तरज्योतिष्कवैमानिका देवा असुरकुमारवज्ज्ञातव्याः, एतेषामाहारशरीरश्वासोच्छ्वासकर्मवर्णलेश्यावेदनादयोमनुष्यों के आहारादिक का निरूपण करके अब देवों के आहार आदिकों को सूत्रकार कहते हैं- 'वाणमंतर-जाइस' इत्यादि, __ (वागमंतर-जोइस-वेमाणिया जहा असुरकुमार ) वाण यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव असुरकुमारों की तरह से हैं। (नवरं वेयणाए णाणत्तं ) वेदना में विशेषता है । ( जोइसवेमाणिया ) ज्योतिष्क और वैमानिक (मायिमिच्छादिद्वीउववन्नगा य अप्पवेयणतरागा) जो मायी मिथ्यादृष्टिरूप से उत्पन्न होते हैं वे थोड़ी वेदना वाले होते हैं और जो (अमायिसम्मद्दिद्वीउववन्नगा य महावेयणतरागा भाणियव्वा ) अमायी सम्यग्दृष्टिरूप से उत्पन्न होते हैं वे महावेदनावाले होते हैं ऐसा जानना चाहिये।
टीकार्थ--" वाणमंतरजोइसवेमाणिया " वानव्यंतर, ज्योतिष और वैमानिकदेव असुरकुमारों की तरह हैं। इसका तात्पर्य यह है कि इनका आहार, शरीर, श्वासोच्छ्वास कर्म, वर्ण, लेश्या और वेदना
મનુષ્યના આહારાદિનું નિરૂપણ કરીને હવે સૂત્રકાર દેવના આહારાદિનું वन ४२ छ -“वाणमंतर-जोइस” इत्यादि।
(वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया जहा असुरकुमारा) पाशुव्यत२, ज्योतिषी भने वैमानि वोनु थन मसुरमा। प्रमाणे छे. (नवरं वेयणाए णाणत्तं) पाणु वेहनामा ३२॥२ (जोइसवेमाणिया ) ज्योतिषी मने वैमानि देवो (माया मिच्छादिदी उववन्नगा य अप्पवेयणतरागा) माया मिथ्याष्टि३ हत्पन्न थाय छतमा थोडी वेहनावा हाय छ भने २ ( अमायिसम्मट्टिी उववनगा य महावेयणातरागा भाणियव्वा) ममाया सभ्य दृष्टि३पे उत्पन्न थाय छ तेसो माવેદનાવાળા હોય છે એમ સમજવું. _Axt-- "वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया" qाव्यत२, ज्योतिषी, मन वैमानि દે અસુરકુમાર જેવા જ છે, તેનું તાત્પર્ય એ છે કે તેમના આહાર, શરીર શ્વાસોચ્છવાસ, કર્મ, વર્ણ, લક્ષ્યા અને વેદના વગેરે બધું અસુરકુમારોના આહાર
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧