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५५ नारक जीवोंके स्वरूपका निरूपण
३९१-४०२ ५६ नारकजीवों के कर्म वर्णादि विषयका निरूपण
४०३-४२२ ५७ असुरकुमारादि वक्तव्यताका निरूपण
४२३-४३६ ५८ पृथिवीकायिकादि चतुरिन्द्रियान्त जीवोंका निरूपण ४३७-४४६ ५९ पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवोंका निपरूण
४४७-४५२ ६० मनुष्यों के आहार आदिका निरूपण
४५३-४६१ ६१ देवोंके आहार आदिका निरूपण
४६२-४६४ ६२ सलेश्य जीवोंके आहार आदिका निरूपण
४६५-४७७ ६३ लेश्याके स्वरूपका निरूपण
४७८-४८१ ६४ संसारसंस्थान कालका निरूपण
४८२-४९९ ६५ अन्तक्रिया (मोक्षविचार) का निरूपण
५००-५०१ ६६ उपपात प्रकरणका निरूपण
५०२-५२२ ६७ असंज्ञी जीवोंकी आयुका निरूपण
५२३-५३३ तृतीय उद्देशकका प्रारंभ ६८ तृतीय उद्देशक के विषयोंका संक्षेपसे निरूपण ५३४-५३६ ६९ कांक्षामोहनीय कर्मका निरूपण
५३७-५६५ ७० जिनोदितके सत्यत्वका प्रतिपादन ७१ भगवद्वाक्य के श्रद्धापूर्वक आराधकत्वका निरूपण ५६७-५६८ ७२ 'अस्तित्व नास्तित्व आदिका निरूपण
५६९-५८२ ७३ 'अत्रेहादिगमनीयका निरूपण
५८३-५८४ ७४ कांक्षामोहनीयकर्म बन्धके स्वरूपका निरूपण
५८५-५९८ ७५ कांक्षामोहनीय कर्मके उदीरणादिके स्वरूपका वर्णन ५९९-६२२ ७६ नारकीय जीवोंके कांक्षामोहनीय कर्मके वेदनादिके स्वरूपका निरूपण
६२३-६३१ ७७ श्रमणके विषयमें कांक्षामोहनीयकर्मके वेदनका स्वरूप ६३२-६६१
चतुर्थ उद्देशक प्रारंभ ७८ चतुर्थ उद्देशककी अवतरणिका
६६२-६६३ ७९ कर्मप्रकृति के स्वरूपका निरूपण
६६४-६६८ ८० उपस्थानापक्रमण (स्वीकार करना और हटना) के स्वरूपकानिरूपण
६६९-६८९
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧