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समवायाङ्गसूत्रे
सहस्राणि प्रज्ञप्तानि) चौसठ लाख असुरकुमारों के आवास हैं। (ते णं भवणा बाहिं बट्टा-तानि खलु भवनानि बहिः वृत्तानि) वे आवासरूप भवन बाहिर में गोल हैं(अंतो चउरसा-अन्तः चतुरस्राणि) भीतर में चतुष्कोण है। (अहे पोक्खरकणिया संठाणसंठिया--अधःपुष्करकर्णिका संस्थानसंस्थितानि) इनका नीचे का भाग कमल की कर्णिका का जैसा आकार होता है वैसे आकार वाला है। (उकिणंतरविउल गंभीर खायफलिहा-उत्कीर्णान्तर विपुलगम्भीर खातपरिखानि) जमीनको खोद कर पालीरूप अन्तराल जिनका किया गया है ऐसे खात (खाई और परिघा-जिनके विपुल एवं गभीर है ऐसे मालूम होते हैं (अहालयचरिय दार गोउरकवाड तोरणप. डिदुवारदेसभागा--अट्टालक चरिकाद्धारगोपुरकपाटतोरण प्रतिद्वारदेशभागानि) इनके पास के प्रदेश में अटारी हैं, तथा आठ हाथ प्रमाण मार्ग हैं।तथा पुरद्वार, कपाट, तोरण बहिार और प्रतिद्वार-अवान्तर द्वार हैं। (जंत मुसल-मुसंढि सयग्धिपरिवारिया-यंत्र मुसलमुशण्ढि शातघ्नीपरि वरि तानि) ये सब भवन पाषाण प्रक्षेपक यंत्रों से, मुसल नामक शस्त्रों से, मुसुढियों से, तथा एक सौ मनुष्यों को एकसाथ घात करने वाली शतनियों से परिवारित अर्थात् युक्त हैं(अउज्झा-अयोध्यानि) शत्रुसैन्य इनमें प्रवेशकर युद्ध नहिं कर सकता है इसलिये ये अयोध्य हैं। (अड्याल रसुरकुमारावास-शतसहस्राणि प्रज्ञप्तानि) यासह सा मसु२४माना यापास। छे (तं णं भवणा बाहिं वट्टा-तानि खलु भवनानि बहिः वृत्तानि) ते सपने। महा थी गोणार छे, (अंतो चउरंसा-अन्तःचतुरस्राणि) सने हरथी यतु । छ, ( अहे पोक्खरकण्णियासंठाणसंठिया-अधःपुष्करकर्णिकासंस्थान संस्थितानि)-तेभनी नीयन मा भजनी नाना २५ मा २नायोडाय छे. ( उकिणंतरविउलगंभीरखायफलिहा--उत्कीर्णान्तरविपुलगम्भीरखातपरिखानि ) भीनने माहीन तमना ५२ती २ मा वाम मावी छ तेने विस्तार विदा भने मार दागे छ, ( अहालयचरियदारगोउरकवाडतोरण पडिदवारदेसभागा--अहालकचरिकाद्वारगोपुरकपाटतोरणप्रतिद्वार देशभागानि) तेमनी पासेन भागमा अटारी हाय छ, तथा ५४ हाथ पहाणे भाग હોય છે. તથા પુરદ્વાર, કપાટ તેરણ, બહિર્તાર અને પ્રતિદ્વાર અવાક્તર દ્વાર હોય છે. ( जंत मुसलमुसंदिसयग्धिपरिवारिया-यंत्र मुसलमुशण्डि शतघ्नी परिवारितानी) ते अधा सपना पथ्थरे। ३वानां यत्रोथी, भुसतनामनां हथियारोथी, મુસુંઢિયાથી અને એક સાથે ૧૦૦ માણસોની હત્યા કરનાર શતશ્ચિયથી યુક્ત હોય છે, (अउज्झा) अयोध्यानि-तमा शत्रुसैन्य प्रवेश परीने asी शतु नथी तेथी ते
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર