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________________ भावबोधिनी टीका. द्वादशाङ्गस्वरूपनिरूपणम् ८४७ प्पवायस्स णं पुचस्स अट्ठारसवत्थ पण्णत्ता) अस्ति नास्ति प्रवादस्य खलु पूर्वस्य अष्टादश वस्तूनि प्रज्ञाप्तानि-अस्तिनास्ती प्रवाद पूर्व की अठारहवस्तुएँ हैं (दस चूलियावत्थ पण्णत्ता) दश चूलिका वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-इसीकी दस चूलिका वस्तुएँ हैं। (नाणप्पवायस्स णं पुवस्स बारसवत्थू पण्णत्ता) ज्ञानप्रवादस्य खलु पूर्वस्य द्वादश वस्तूनि प्रज्ञाप्तानि-ज्ञानप्रवाद पूर्व की बारह वस्तुएँ हैं। (सच्चप्पबायस्स णं पुव्वस्स दो वत्थू पण्णत्ता) सत्यप्रवादस्य खलु पूर्वस्य हे वस्तूनी प्रज्ञप्ते-सत्यप्रवाद पूर्व की दो वस्तुएँ हैं (आयप्पवायस्स णं पुवस्स सोलसवत्थ पणत्ता) आत्मप्रवादस्य खलु पूर्वस्य-षोडश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-आत्मप्रबाद पूर्व की सोलह१६ वस्तुएँ हैं। (कम्मप्पवा. यस्स णं पुवस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता) कर्मप्रवादस्य खलु पूर्वस्य त्रिंशत् वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-कर्मपबाद पूर्व की ३० वस्तुएँ हैं। (पच्चक्खाणस्स णंपुवस्स वीसं वत्थू पण्णता) प्रत्याख्यानस्य खलु पूर्वस्य विंशतिर्वस्तूनि प्रज्ञ. प्तानि-प्रत्याख्यानप्रवाद पूर्व की बीस २० वस्तुएँ हैं। (अबंझस्स णं पुव्वस्स. बारस पत्थू पण्णत्ता) अबन्ध्यस्य खल पूर्वस्य द्वादश वस्तूनि प्रज्ञप्तानिअवंध्यप्रवादपूर्व को बारह वस्तुएँ हैं।(पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस पत्थूपण्णत्ता) प्राणायुषः खलु पूर्वस्य त्रयोदश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-प्राणायुप्रवाद-पूर्व की नास्ति प्रवाई पूना मढ२ वस्तु। छ. (दस चूलिया वत्थू पण्णत्ता) दश चूलिका वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-मने इस यूनि। पन्तु। छे. (नाणप्पवायस्स णं पुवस्स बारसवत्थू पण्णता) ज्ञानप्रवादस्य खलु पूर्वस्य द्वादशवरतूनिप्रज्ञप्तानि-शान पूनी मा२ वस्तु छ. (सच्चप्पवायस्स णं पुवस्स दो वत्थू पण्णत्ता) सत्यप्रवादस्य खलु पूर्वस्य द्वे वस्तूनि प्रज्ञप्ते-सत्यप्रवाह पूनी मे १२तु छ. (आयप्पवायस्स णं पुवस्स सोलसवत्थूपण्णत्ता) आत्मपवादस्य खलु पूर्वस्य षोडशवस्तूनि प्रज्ञप्तानि-मात्मप्रपा नी सण वस्तु। छे. (कम्मप्पवायस्स णं पुवस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता) कर्मप्रवादस्य स्खलु पूर्वस्य त्रिंशत् वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-: प्रवाह धूप नी त्रीस पस्तुछ, (पञ्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता) प्रत्यारूयानस्य खलु पूर्वस्य विंशति वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-प्रत्य ध्यानप्रवाह पूनी वीस वस्तुमा छ, (अबंझस्स णं पुव्वस बारस वत्थू पप्णत्ता) अबन्ध्यस्य खलु पूर्वस्य द्वादश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि--4मय प्रवाह पूनी मा२ १२तुम। छे. (पागाउस्स णं पुवस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता) प्राणायुषः खलु पूर्वस्य त्रयोदश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि-प्राणायुप्रवाई नी तेर १२तुम्। छे. (किरिया विसालस्स णं पुवस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता) क्रियावि શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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