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________________ भाववोधिनी टीका. द्वादशाङ्गस्वरूपनिरूपणम् ८४३ नामके दूसरे भेद का क्या स्वरूप है ? उत्तर-(सुत्ताई) सूत्राणि-सब द्रव्यों की, सब पर्यायों की सब नयों की सूचना करने वाले होने से सूत्र कहलाते हैं वे सूत्र (अट्ठासीई भवतीति मक्खाइयायं) अष्टाशीतिः भवन्ति इति अख्यातानिअठासी प्रकार के कहे गये हैं। (तं जहा) तद्यथा-वे इस प्रकार हैं [उजुगं] ऋजुक१,[परिणयापरिणयं२]परिणतापरिणत[वहुभगियं] बहुभंगिक३,[विपच्चइयं] विप्रत्ययिक४ [अणंतरं] अनंतर५, [परंपरसमाणं] परम्परसमान६, [संजूह] संयूथ७ (संभिन्न) संभिन्न८, (अहाचय) यथात्याग९, अथवा (अहव्वायं) यथावाद, (सोवत्थिय) सौवस्तिक१० (घंट) घंट११ (नंदावत्तं) नंदावर्त१२ (बहुलं) बहुल१३ (पुट्ठापुढे) पृष्टापृष्ट १४,(वियावत्त) व्यावत१५, (एवंभूयं) एवंभूत १६, (दुआवत्तं) द्विकावर्त १६, (वत्तमाणुप्पयं) वर्तमानोत्पाद१८, (समभिरुढं) समभिरूढ१९ (सव्वओभदं सर्वतोभद्र २०(पणाम) प्रमाण२१, (दुपडिग्गह) दुष्प्रतिग्रह२१। (इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई) इत्येतानि द्वाविंशतिः सूत्राणि-वे बावीसस्त्र (ससमय-सुत्तपरिवाडीए) स्वसमयसूत्रपरिपाटयाःस्वसमयसूत्र परि पाटी से अर्थात् जिनसिद्धान्तानुसार (छिन्नछेयणइयाइ) छिन्नच्छेदनयिकानि-छिन्नच्छेदनयिक हैं । (इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई) इत्येतानि द्वाविंशति; सूत्राणि-ये ही बावीस सूत्र (आजीवियसुत्तपरिवाडीए) (सुत्ताई) सूत्राणि-सजा द्रव्यानी, समरत पायोनी, मने समरत नयानी सूयना ४२ना२ डापाथी तभ२ सूत्र ४ छे ते सूत्र (अट्ठासीईभवंतीतिमक्खाइयाय) अष्टाशीतिः भवन्ति इति आख्यातानि-८८ २५४ासी प्रा२ना४ख छ. (तं जहा) तद्यथा-ते ५४२ मा प्रभारी छ-(१) (उजुगं) , (२) (परिणयापरिणयं) परितापरिणत, (३) (बहुभंगियं) मnिg, (४) (विपच्चइयं) विप्रत्ययि४, (५) (अणंतरं) मनत२, (६) (परंपरसमाणं) ५२२५२समान, (७) (संजूहं) संयूथ, (८) (संभिन्न) समिन्न, (E) (अहाच्चयं) ययात्यास अथवा (अहव्यायं) यथावाह, (१०) (सोवत्थियं) सौवस्ति, (११) (घंट) घट, (१२) (नंदावत्तं) नहात, (१३) (बहुलं) महुस, (१४) (पुठापुटुं) पृष्टापट, (१५) (बियावत्तं) व्यावत्तः, (१६) (एवंभूयं) भूत (१७) (दुआवत्तं) वित्त', (१८) (वत्तमाणुप्पयं) पत्त'भानात्या, [१८] (समभिरूढं) सभाम३८, (सव्वओभई) सप्तामद, (२१) (पणाम) प्रभा, [२२] (दुपडिग्गहं) दुपात (इचयाई बावीसं सुत्ताई) थे २२ मावीस सूत्री(ससमयसुत्तपरिवाडीए)स्वसमयसूत्रपरिपाट्याः -२५समय सूत्र परिपार्ट थी मे23 नसिद्धांतानुसार (छिन्नछेयणइयाई) [छन्नछेहनयि छ, (इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई) मे ४ मापीस सूत्र। (आजीवियमुत्तपरिवाडीए) શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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