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भावबोधिनी टीका. द्वादशाङ्गस्वरूपनिरूपणम्
८४१ शपदानि-आकाशपद, (केउभूय५)केतुभूतं-केतुभूत, (रासिबद६) राशिबद्ध, (एगगुणं७)-एकगुणं,एकगुण(दुगुणं८)द्विगुणं-द्विगुण,(तिगुणं९)त्रिगुणं-त्रिगुण, (के उभूयं१०) केतुभूतं-केतुभूत, (पडिग्गहो११) प्रतिग्रहः-पतिग्रह, (संसारपडिग्गहो१२) संसारप्रतिग्रहः-संसारप्रति ग्रह, (नंदावत्तं१३) नन्दावत-नंदावर्त (सिद्धबद्धं) सिद्धबद्ध-सिद्धबद्ध । (सेतं सिद्धसेणियापरिकम्मे) तदेतत् सिद्धश्रेणिका परिकर्म-यह सिद्धश्रेणिका परिकर्म है। (से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे) अथ किं तत् मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म-हे भदंत ! मनुष्य श्रेणिकापरिकम का क्या स्वरूप है ? उत्तर ( मणुस्ससेणियापरिकम्मे चौद्दसविहे पण्णत्ते) मनुष्यश्रेणिका परिकर्म चतुर्दशविधं प्रज्ञप्तं-मनुष्य श्रेणिका परिकम चौदह१४ प्रकार का है (तं जहा) तद्यथा-वे प्रकार ये है (ताई चेव माउआपयाणि जाव नंदावत्तं) तानि चेव मातृकापदानि यावत् नन्दावत-वे ही मातृक पद आदि नंदावर्त्त तक तेरह १३। तथा (मणुस्सबद्धं)मनुष्यबद्धं-चौदहवां मनुष्यबद्ध। (से तं मणुस्स सेणिया परिकम्मे) तदेतत् मनुष्यश्रेणिका परिकर्भ-इस प्रकार से चौदह १४ प्रकार का यह मनुष्यश्रेणिका परिकर्म है। (अवसेसाई परिकम्माइं पुट्ठाइयाइ एकारसचिहाई पदानि-मा३।२५. ५६, (५) (के उभूयं ) केतुभूतं-3तुभूत, (६) (रासिबद्धं) राशिबद्धं-राशिम, (७) (एगगुणं) एकगुणं-येशु, (८) (दुगुणं) द्विगुणंद्विगुण, (९) (तिगुणं) त्रिगुण-त्रिशु], (१०) (के उभूय) केतुभूत-तुभूत, (११) (पडिग्गहो) प्रतिग्रह:-प्रतिय, (१२) (संसारपडिग्गहो) संसारपतिग्रहः-संसार प्रतिवर, (१३) (नंदावत्तं) नन्दावत-हावत', भने (१४) (सिद्धबद्धं) सिद्धबद्ध-सिद्धम, (सेतं सिद्धसेणियापरिकम्मे) तदेतत् सिद्धश्रे णिका परिकर्म-से यौह सिद्धश्रेणि। पश्मिना २ छ. (से किं तं मणुस्स सेणिया-परिकम्मे ?) अथ किं तत् मनुष्यश्रेणिका परिकर्म-डे महन्त ! मनुष्य !ि प२ि४भनु ३ २१३५ छ ? उत्तर-( मणुस्ससेणिया परिकम्मे-चौद्दस विहे पण्णत्ते) मनुष्यश्रेणिका परिकर्म चतुर्दशविधं प्रज्ञप्तं-मनुष्यश्रे!ि परि.
भना यौह प्रा२ छ. (तंजहा) तद्यथा-ते ॥२॥ २॥ प्रभा छे-(ताई चेय माउआपयाणि जावनंदावत) ते भातृ४५४थी साधने नहावत सुधा १३ ते२ ६४।२ छ. तथा (मणुस्सबद्धं) मनुष्यबद्धं मनुष्य५ नमन। तेन यौहभ। ४।२ छे. ( से तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ) तदेतत् मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म--- भाशते मनुष्यत्रण पतिभना मे १४ यौह १२ छ. (अव. सेसाइं परिकम्माइं पुट्ठाइयाई एक्कारसविहाई पण्णत्ताई ) अवशेषाणि
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર