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भाववोधिनी टीका. अष्टमास्वरूपनिरूपणम्
का अपहरण करने स उद्भूत मालनता स राहत (हाना, सत्तरसावहा य संजमो ) सप्तदशविधश्च संयमः - पृथिवी काय आदि सत्तरह प्रकार का संयम, (उत्तम च बभ) उत्तमं च ब्रह्म-मैथुन विरति आदि रूप उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य, (अकिंचनता परिग्रह का त्यागरूप [तवो] तपः- तप, (चियाओ (त्याग) - आगमोत्तविधि से मुनियों को आहारपानी लाकर देना, (समिइ गुत्तीओ चेव) समिति - गुप्तयश्चैवपांच समितियां, तीन गुप्तियां ( अप्पमायजोगो) अप्रमादयोगः - अप्रमादयोगों का (सज्झायज्झाणाण य उत्तमाणं दोन्हं पि) स्वाध्यायध्यानयोश्च उत्तमयोर्द्वयोरपिउत्तम स्वाध्याय और ध्यान इन दोनों के (लक्खाणाई) लक्षणाणि - लक्षण, ये सब विषय कहे गये हैं। 'संजमुत्तमं पत्ताणं' संयमोत्तम प्राप्तानां सर्वविरति आदि रूप उत्तमसंयम को प्राप्त करने वाला (जियपरीसहाणं) जितपरीषाणाम् एवं परीषहों को जीतने वाले ( मुणिहि मुनीनां-मुनियों को, (चउ विहक मक्खयम्मि) चतुर्विधकर्मक्षयैः - घातिक कर्म क्षय होने पर (जह के - लस्स लंभो ) यथा केवलस्य लाभः - :- जिस प्रकार केवलज्ञान की प्राप्ति होती है ( जत्तिओ य परियाओ) यावान् पर्यायः - जितने वर्षतक दीक्षापर्यायपाली, (जह पालिओ) यथा पालितः -- जिसप्रकार से उन्हों ने उसका पालन किया, (जो जहिं पाओगओ) यः यत्र पादपोपगमश्च तथा यावन्ति भक्तानि जो मुनि जहां पादपोपगमन संथारा को धारण करके (जत्तियाणि भत्ताणि अषडु२ए| ४२वाथी उत्पन्न थयेस भविनताथी रहित ) ( सत्तरसविहोय संजमो ) सप्तदशविधश्च संयमः - पृथ्वीप्राय आदि सत्तर प्रअरना संयम, (उत्तमं च बंभ) उत्तमं च ब्रह्म- मैथुन विरति आहिय उत्कृष्ट ब्रह्मयर्य, (अकिंचणता) अशिनता, (तवो) ५, ( चियाओ ) त्यागः - आगो विधि अनुसार भुनियोने भाडार पाणी लावीने हेवां, (समिइगुत्तीओचेय) समिति गुप्तयश्चैव पांय समितियो नेत्रगुप्तियो, (अप्पमायजोगो) अप्रमादयोग:- अश्रम हयोगी, (सज्झायज्झाणाण य उत्तमाणं दोन्हंपि) स्वाध्यायध्यानयोश्च उत्तमोईयोरपि -- त्तभ स्वाध्याय मने ध्यान, से मन्नेना (लक्खणाइं) लक्षणाणि - लक्षणो मे मधा વિષયાનું કથન. આ અંગમાં કરાયું છે. तथा (संजमुत्तमं पत्ताणं) संयोमोत्तमं प्राप्तानां - सर्वविरति माध्यि उत्तम संयमने प्राप्त अनाश, [ जियपरीसहाणं ] जितपरीषहाणाम् - परीषहोने तनाश, (मुणिहिं) मुनीनां - भुनियोने (चउविहकम्म क्यम्मि) चतुर्विधकर्मक्षयैः - धातियाहर्मनो क्षय थतां (जहकेवस्स लभो ) यथा केवलस्य लाभः- - देवी रीते ठेवणज्ञाननी प्राप्ति थाय छे (जत्तिओ य परियाओ) यावान् पर्यायः - डेटस वर्ष सुधी दीक्षापर्याय पाणी (जहपालिओ) यथा पालितः - शेते तेमागे तेनु पालन यु", (जो जहिंपाओवगओ) यः यत्र पादपोपगमश्र - तथा ने मुनि नयां पाहयोपगमन संथाराने धारण ने
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર