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________________ ७२६ समवायाङ्गसूत्रे नरेन्द्ररजिऋषिविविधसंशयित पृष्टानां-विविधसंशयो से युक्त अनेक प्रकार के देवों, नरेद्रों और राजऋषियों से अपने संशय को दूर करने के लिये पूछे गये प्रश्न, तथा-(जिणेणं वित्थरेणं भासियाणं) जिनेन विस्तरेण भाषितानां-जिन भगवान द्वारा विस्तारपूर्वक प्रतिपादित उत्तर, जो कि [ व्वगुणखेत्तकालपजवपदेसपरिणामजहथिभावअणुगमनिक्खेवणयप्पमाण सुनिउणोवकविविहप्पगारपगडपयासियाणं] द्रव्य-गुणक्षेत्रकालपर्यव. प्रदेशपरिणामयथास्तिकभावाणुगमनिक्षेपनयममाणसुनिपुणोपक्रमविविधप्रकारप्रकटप्रकाशितानाम्-(दच) द्रव्य-धर्मास्तिकायादिक द्रव्य, (गुण)ज्ञानादियगुण, (खेत्त) क्षेत्रआकाश-द्रव्य, (काल) काल-समयादिरूप, (पज्जव) पर्याय-स्वपर भेद भिन्न धर्म, अथवा नवपुराण आदिकालकृत अवस्था, [पदेश) प्रदेशनिरंश अवयव, (परिणाम) परिणाम-एक अवस्था से दूसरी अवस्था को प्राप्त होना, (जहस्थिय भाव) यथास्तिकभाव (अणुगम) अनुगमसंहिता आदि व्याख्यान के प्रकार अथवा उद्देश, निर्देश निर्गमन आदि द्वार, (निक्खेव) निक्षेप-नामादि, (णय) नय-निगमादि नय, (प्पमाण) प्रमाण-प्रत्यक्ष आदि प्रमाण, (सुनिउण उचकम) सुनिपुणउपक्रम-आनुपूर्वी आदि द्वारा (विविहप्पगारपगडपयासियाणं) विविध राजऋषि विविधसंशयितपृष्टानां-मन मनमा विविध सशये पन्न થયા છે તેવા અનેક પ્રકારનાં દે, નરેન્દ્રો, અને રાજેર્ષિ દ્વારા પિતાના સંશ याना निवाने माटे पूछायेसा प्रश्नी तथा (जिणे णं वित्थरे ण भासियाणं) जिनेन विस्तरेण भाषिताना-नेश्वर भगवान द्वारा विस्ता२५१४ प्रतिपादन ४२राये। उत्त, 2 ( दव्वगुणखेत्तकालपज्जवपदेसपरिणामजहत्थिय भावअणुगमनिक्खेवणपप्पमाणसुनिउणोवकविविहप्पगारपयड पयासियाणं ) द्रव्य--गुणक्षेत्रकालपर्यवप्रदेशपरिणामयथास्तिकभावानुगनिक्षेप नयप्रसाणसुनिपुणोपकमविविधपकारपकट प्रकाशितानाम्--(व्व ) द्रव्य मास्तिय २६ द्र०य, (गुण) गुप्त---ज्ञानादि गु], ( खेत ) क्षेत्र- माशद्रव्य, (काल)-समयादि ३५४, (पज्जव) पर्याय-२५ मने ५२ना या निन्न ५, Aथा पुराण मा िनपmत अवस्था, (पदेश) प्रदेश नि२ ॥ सवयव (परिणाम) परिणाम-से मवस्थामाथी मी २५१२थानी प्रति थवा ते, (जहत्थिय भाव) यथास्ति माप, (अणुगम) अनुगम-संहिता आदि ०याध्यानना २ -4241 देश, निश नि. द्विा२, (निक्खेव) निक्षेपनामादि, (णय)-नय-निगमाहि नय, (प्पमाण) प्रमाण-प्रत्यक्ष मा प्रभात, (सुनिउण उवक्कम) सुनिपुण-उपक्रम-मानुयूवी Bulle an (विविहप्पगार શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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