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________________ ६४० समवायाङ्गसूत्रे टीका--'अणुत्तरोववाइयाणं' इत्यादि-'अणुत्तरोववड़ियाणं देवाणं' अनुत्तरोपपातिकानां देवानाम् 'विमाणा' विमानानि 'एकारस जोयणसयाई' एकादशयोजनशतानि-एकादशशतयोजनानि 'उडु उच्चतेणं' उर्ध्वमुच्चत्वेन 'पण्णत्ता' प्रज्ञप्तानि । 'पासस्स णं अरहओ' पार्श्वस्य खलु अर्हतः 'एकारससयाई वेउ. ब्धियाणं' एकादशशतानि वैकुर्विकाणाम्-वैक्रियशक्तिमतां साधूनामेकादशशतानि 'होत्था' आसन् ॥ सू० १५३।।। विसहस्रतमं समवायमाह मूलम्-महापउम महापुंडरीयदहाणं दो दो जोयणसहस्साई आयामेणं पण्णत्ता ॥सू. १५४॥ टीका-'महापउम' इत्यादि-'महापउममहापुंडरीयदहाणं' महापद्ममहापुण्डरीकडूदौ खलु-महापद्मदमहापुण्डरीकहूदौ महाहिमवद्रुक्मिवर्षधरपर्वतोपरिस्थिती __ अब सूत्रकार ग्यारह सो ११०० वें समवाय का कथन करते है'अणुत्तरोववाइयाणं' इत्यादि । टीकार्थ--अनुत्तर विमानों में उत्पन्न हुए देवों के विमानों की ऊचाई ग्यारह सौ ११०० योजन की है। पार्श्वनाथ अरहंत प्रभु के वैक्रियशक्तिशाली साधु ११०० ग्यारासो थे ॥सु. १५३॥ अबसूत्रकार दो हजार २००० वें समवाय का कथन करते हैं-- 'महापउममहापुंडरीयदहाण' इत्यादि। टीकार्थ-महापद्म और महापुण्डरीक हूद लंबाई में दो दो हजार योजन के लंबे हैं। महापद्म नामका दूद महा हिमवान् पर्वत के उपर स्थित है। वे सूत्र४२ मनियारसे (११००) नां समवाय मतावे -'अणुत्तरोववाइयाणं' इत्यादि। ટીકાર્થ—અનુત્તર વિમાનમાં ઉત્પન્ન થયેલ દેના વિમાનની ઉંચાઈ અગિયાર સે (૧૧૦૦) જનની છે. પાર્શ્વનાથ અહત ભગવાનના વૈક્રિય શકિત ઘારી ૧૧૦૦ અગીયારસે સાધુ હતા સૂ. ૧૫૩ वे सूत्र॥२ मे १२ (२०००) नां समवाये। शिवि छ--'महापउममहा पुंडरीयदहाणं' इत्यादि। 2014--महापाड मने मारी नी मा २०००-२००० मे હજાર-હજાર એજનની છે. મહાપા નામનું હૃદ (સરવર) મહાહિમવન પર્વત શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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