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________________ ६२५ भावबोधिनी टीका. षटशततमं समवायनिरूपणम् षट्शततम समवायमाह--'सणंकुमारमाहिं देसु' इत्यादि। __ मूलम्--सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाई उड़ें उच्चत्तेणं पण्णत्ता। चुल्लहिमवतकूडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स समधरणितले एस णं छ जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं सिहरीकुडस्स वि । पासस्त णं अरहओ छ सया वाईणं सदेवमणुयासुरे लोए वाए अपराजिआणं उक्कोसिया वाइसंपया होत्था । अभिचंदेणं कुलगरे छ धणुसयाई उड़े उच्चत्तेणं होत्था । वासुपुज्जे गं अरहाछहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥सू० १४८॥ टीका--'सणंकुमारमाहिंदेसु' इत्यादि-सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेस' सनत्कुमारमाहेन्द्रयोः कल्पयोः 'विमाणा' विमानानि 'छ जोयणस याई' पड्योजनशतानि 'उडूं उच्चत्तेण' उर्ध्वमुच्चत्वेन ‘पण्णत्ता' प्रज्ञप्तानि । 'चुल्लहिमवंतकूडस्स' क्षुल्लहिमवत्कूटस्य 'उवरिल्लाओ चरमंताओ' उपरितनात् चरमान्तात् 'चुलहिमवंतस्स वासहरपव्ययस्स' क्षुल्लहिमवतो वर्षधरपर्वतस्य 'समधरणितले' समधरणितलं में आयाम और विष्कंभ की अपेक्षा पांच पांच सौ योजन के हैं। सौधर्म और ईशान इन दो कल्पों में जो विमान हैं वे पांच पांच सौ योजन ऊचे हैं।सू०१४७॥ अब सूत्रकार छहसौ ६०० वां समवाय कहते हैं-'सणंकुमार माहिंदेसु' इत्यादि। टीकार्थ-सनत्कुमार और माहेन्द्र इन दो कल्पों में जो विमान हैं वे छहसौ योजन ऊँचे हैं। छुहिमवान पर्वत कूट के उपर के अन्तिम भाग से छुल्ल हिमवान् वर्षधर पर्वत का जो समधरणितल है वह પાંચસે લેજનના છે. સૌધર્મ અને ઈશાન, એ બે કલમાં જે વિમાને છે તે ૫૦૦-૫૦૦ પાંચસો-પાંચસ યોજન ઊંચાં છે. સૂ. ૧૪છા वे सूत्र४२ से। (१००)नां समवायो सतावे छ- 'सणंकुमारमाहिंदेसु' इत्यादि। ટીકાથ–સનકુમાર અને મહેન્દ્ર એ બે કલ્પમાં જે વિમાનો છે તે ૬૦૦ છ જન ઉંચા છે. છુલ હિમવાન પર્વતકૂટના ઉપરના અન્તિમ ભાગથી છલ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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