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________________ - २०८ समवायाङ्गसूत्रे मंदर मेरुं मणोरम सुदंसंण सयंपंभे य गिरिराया। रयणुच्चय पियदसंणमज्झे लोगस्ल नाभी य । अत्थे य सूरियावत्ते सूरियावरणेत्ति य। उत्तरे य दिसाईय वडिंसेइय सोलसमे। पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्त सोलससमणसाहस्सीओ उकोसिया समणसंपदा होत्था। आयप्पवायस्त णं पुव्वस्स णं सोलस वत्थू पण्णत्ता। चमरबलीगं ऊवारियालेणे सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते । लवणे णं समुद्दे सोलस जोयणं सहस्साइं उस्सेह परिवुडीए पण्णत्ते ॥सू० ३८॥ टीका-'सोलस य गाहा' इत्यादि । षोडश च 'गाहा सोलसगा' गाथापोडशकानि प्रज्ञप्तानि 'गाथा' इति नामकं षोडशमध्ययनं येषां तानि सूत्रकृताङ्गप्रथम श्रुतस्कन्धस्याध्ययनानि गाथाषोडशकानीत्युच्यन्ते, तानि षोडशसंख्य कानि कथितानि, तद्यथा-'समए' समयः नास्तिकादिसिद्धान्तः, तत्प्रतिपादनपरमध्ययनं समयः। 'वेयालिए' वैतालीयच्छन्दसा ग्रथितं वैतालीयम्। 'उव अब सूत्रकार सोलहवें समवाय को प्रकट करते हैं - 'सोलसय' इत्यादि। टीकार्थ-गाथा षोडशक सोलह कहे गये हैं। सूत्रकृतांग का जो प्रथमश्रुतस्कंध है उसके सोलह अध्ययनों का नाम गाथाषोडशक है। ये सोलह हैं। वे इस प्रकार हैं-१'समय' इस अध्ययन में नास्तिक आदि के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है इसलिये उन सिद्धान्तों का प्रतिपादक होने के कारण इस अध्ययन का नाम भी 'समय' ऐसा कहा गया है २ 'वैतालिय' यह अध्ययन वैतालीय छंदों में लिखा गया है इसलिये इस अध्ययन का नाम 'वैतालीय' अध्ययन पडा है ३ 'उप वे सूत्र५२ सो भ्याना समवाय मावे छ. “सोलसय” इत्यादि ! ટીકાથુ–ગાથા ડષ સેળ કહેલ છે. સૂત્રકૃતાંગને જે પહેલો કૃતસકંધ છે તેના साग मध्ययनानु नाम 'गाथाषोडशक' छे. ते सो मा प्रभारी छ-(१) समय આ અધ્યયનમાં નાસ્તિક આદિના સિદ્ધાન્તનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે, તેથી ते सिद्धांतान प्रतिया वाथी ते अध्ययननु नाम 'समय' स . (२) 'वैतालीय' मा अध्ययन वैतासीय भi aमायेस छे. तेथी ते मध्ययननु नाम 'वैतालीय' मध्ययन पऽयु छ. (3) उपसर्गपरिज्ञा 20 अध्ययनमा सोनी प्रातिर्नु શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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