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________________ भावबोधिनी टीका. भाविसप्तकुलकरनामनिरूपणम् ११२३ भविस्संति, तं जहा-विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू, दसधणू, सयधणू, पडिसुई सुमइत्ति ॥७३॥ सू० २१२॥ शब्दार्थ-(जंबूद्दीवे णं दीवे) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे-इस जंबूद्वीप नामके द्वीप में (आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे) आगमिष्यन्त्यामुत्सपिण्यां भारते वर्षे-आनेवाले उत्सर्पिणीकाल में भारतवर्ष में (सत कुलगरा भविस्संति) सप्त कुलकरा भविष्यन्ति-सात कुलकर होंगे। (तं जहा) तद्यथाउनके नाम इस प्रकार से हैं (मियवाहणे सुभूमेय सुप्पभे य सयंपभे. दत्ते सुहुमे सुबंधू य आगमिस्सा ण होक्खंति) मितवाहनः सुभूमा च सुप्रभश्च स्वयंप्रभः, दत्तः सूक्ष्मः सुबन्धुश्च आगमिष्यति खलु भविष्यन्तिमितवाहन १, सुभूम२, सुप्रभ३, स्वयंप्रभ४, दत्त५, सूक्ष्म६ और सुबंधु ये आगामीकाल में होवेंगे। (जंबूहीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए ऐरवए वासे दस कुलगरा भविस्संति) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे आगमिष्य. त्यामुत्सर्पिण्यामैरवते वर्षे दश कुलकरा भविष्यन्ति-जंबूद्वीप नामके द्वीप में आगामी उत्सर्पिणीकाल में ऐरवतक्षेत्र में दस कुलकर होवेंगे। (तं जहा) तद्यथा-उनके नाम ये हैं-(विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे दढधणू दसधणू सयधणू पडिसूई सुमइत्ति) विमलवाहनः सीमङ्करः ___शहाथ-(जंबूद्दीवे णं दीवे) जंबूद्वीपे खलु द्वीपे-भूरी नामना २मा द्वीपमi (आगमिस्साए उस्सप्पिणीए भारहे वासे) आगमिष्यन्त्यामुत्सर्पिण्यां भार ते वर्षे--24091भी उत्सपिeltणे भारतवर्षमा (सत्तकुलगरा भविस्संति) सप्तकुलकरा भविष्यन्ति-सात ४२ थरी. (तं जहा) तद्यथा-तमना नाम मा प्रभारी श-(मयवाहणे सुभूमेय सुप्पभे य सयंपभे दत्ते सुहुमे सुबंधू य आगमिस्सा ण होक्खंति) मितवाहनः सुभूमा च, सुप्रभश्च स्वयंप्रभः, दत्तः सूक्ष्मः सुबन्धुश्च आगमिष्यति खलु भविष्यन्ति-(१) भितवाडन, (२) सुलूम, (3) सुभम, (४) स्वयम, (५) इत्त, (६) सूक्ष्म अने (७) सुमधु, ते ८४२। 240 थरी (जंबूद्दीवे णं दीवे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए ऐरवये वासे दस कुलगरा भविस्संति) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे आगमिष्यन्त्यामुत्स पिण्यामैरवते वर्षे दश कुलकरा भविष्यन्ति-भूद्वी५ नामना द्वीपमा भाभी सपिमा भैरवतक्षेत्रे इस स४२ थशे. (तं जहा) तद्यथा-- तमना नाम था प्रमाणे छे-विमलवाहणे सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंघरे दढंधण् दसधणू सयधण पडिसूई सुमइत्ति)विमलवाहनः सीमङ्करः सीमन्धरः શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
SR No.006314
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1219
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size68 MB
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