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________________ ६२१ सुधा टीका स्था० ७ सू० १४ सप्तस्वरनिरूपणम् ये चाण्डाला: चण्डकर्माणः, मौष्टिकाः-मुष्टिः प्रहरणं येषां ते तथा, मुष्टिभिः प्रहरणशीला इत्यर्थः, तथा-मल्लाः, सेया:-अधमजातीया मनुष्याश्च सन्ति, एभ्यो ऽन्ये च ये पापकर्माणम्पापकर्मपरायणाः सन्ति, तथा च-ये गोघातकाः सन्ति, ये च चौराः सन्ति, ते सर्व विषादस्वरमाश्रिता विज्ञेयाः ॥ १४ ॥ इति । अथै तेषां स्वराणां प्रामान्, एकैकग्रामस्य मूश्चि प्राह-'एएसिणं सत्ताहं सराण तो गामा पण्णता' इत्यादिना ' कोडिमाय सो सत्तमी मुच्छा' होते हैं, वे चाण्डाल होते हैं-चण्ड कर्म करनेवाले होते है-मौष्टिकमुष्टि से प्रहार करने के स्वभाववाले-होते हैं. सेय-अधम जाति केहोते हैं, तथा इनसे भी भिन्न जो पापकर्म करने में परायण होते हैं, गाय की हत्या करनेवाले होते हैं, और जो चोर-परधनहरण करने वाले-होते हैं वे सय निषाद स्वरवाले होते हैं-ऐसा जानना चाहिये ।१४॥ अब सूत्रकार इन स्वरों के ग्रामों का और एक २ स्वर की मूछना का कथन करते हैं-इन सात स्वरों के तीन ग्राम कहे गये हैं-जैसेषड्ज ग्राम १ मध्यम ग्राम २ और गान्धार ग्राम ३. इनमें षड्ज ग्राम को सात मूर्च्छनाएँ कही गई हैं-जैसे-मङ्गी १, कयौरीया २, हरि ३, रजनी ४, सारकान्ता ५, सारसी ६ और शुद्ध षड़ज ७॥ १५ ॥ मध्यम ग्राम की सात मूर्छनाएँ इस प्रकार से है-उत्तरमन्दा १ रजनी २ उत्तरा ३ उत्तरासमा ४, समवक्रान्ता ५ सौवीरा ६ और अभीरु ७॥ १६॥ નિષાદ સ્વરવાળા મનુષ્યો ચાંડાલ હોય છે–ભયંકરમાં ભયંકર કૃત્ય કરનારા હોય છે, મૌષ્ટિક (મુઠ્ઠી વડે પ્રહાર કરનારા) હોય છે, એય (અધમ જાતિના) હોય છે, તેઓ જાત જાતના પાપકર્મો કરવામાં પરાયણ હોય છે, ગૌહત્યા કરનારા હોય છે, અને પારકાના ધનનું અપહરણ કરનાર ચોર હોય છે. હવે સૂત્રકાર આ સ્વરના ગ્રામનું અને પ્રત્યેક સ્વરની મૂરછનાનું નિરૂપણ કરે છે– આ સાત સ્વરોના નામ નીચે પ્રમાણે છે-(૧) વજ ગ્રામ, (૨) मध्यम आम मन (3) आधार प्रामा ५१ आमनी सात भूना ही -(१) मी , (२) औरवीया, (3) R, (४) २०ी, (3) साता , (6) सारसी मन (७) शुद्ध षडू. મધ્યમ ગ્રામની સાત મૂઈનાઓ નીચે પ્રમાણે છે–(૧) ઉત્તરમદા, (२) २४नी, (3) तरा, (४) उत्तरासमा, (५) सभा -ता, (६) सौपा। भने (७) मला. श्री. स्थानांग सूत्र :०४
SR No.006312
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages775
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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