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१०८ चयादिका कथन
५१६-५१७ सात स्थानका प्रारम्भसातवें स्थानका विषयचिवरण
५१८सात प्रकारके गणोंके अपक्रमण-निकलनेका निरूपण ५१९-५२६ सात प्रकार के विभङ्गज्ञानका निरूपण
५२७-५४३ ११२ सात प्रकारके जीवोंका निरूपण
५४४-५४८ ११३ संग्रहके स्थानोंका निरूपण
५४९-५५३ ११४ पिंडैषणाका निरूपण
५५४-५६४ सात प्रकारकी पृथ्वीयों के स्वरूपका कथन ५६५-५६९ ११६ बादर वायुकाय के स्वरूपका कथन सात प्रकारके भयस्थानोका निरूपण
५७१-५७२ ११८ छ छनस्थोको जाननेका निरूपण
५७३-५७५ केवलीयोको जाननेका कथन
५७५ १२० ___ सात प्रकारके मूलगोत्रका निरूपण
५७६-५७९ सात प्रकारका मूलनयका निरूपण
५८०-६०३ सात प्रकारके स्वरोका निरूपण
६०४-६३६ लोकोत्तर कायक्लेशोंका निरूपण
६३७-६३८ १२४ मनुष्यलोक और वर्षधर पर्वतों का निरूपण ६३९-६४३ १२५ कुलकर आदिका निरूपण
६४४-६४७ दण्डनीतिका निरूपण
६४८-६५१ १२७ चक्रवर्ती राजाके एकेन्द्रिय पंवेन्द्रिययाले रत्नोंका निरूपण
६५२-६५३ १२८ दुषम-सुषम काल ज्ञानका कथन
६५४-६५९ १२९ सात प्रकार के आयुष्यके भेदोका कथन ६६०-६६१ मल्लीनाथ भगवानका वर्णन
६६२-६६५ १३१ दर्शनके स्वरूपका निरूपण
६६६-६६७ १३२ छन्नस्थावस्थासे प्रतिबद्ध सूत्रका कथन
६६८-६७० सात प्रकारकी विकथाओं का निरूपण
६७१-६७४ __ आचार्य के सातिशयपनेका निरूपण
६७५-६७७
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श्री. स्थानांग सूत्र :०४