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________________ १०९ ११५ M uovo १०८ चयादिका कथन ५१६-५१७ सात स्थानका प्रारम्भसातवें स्थानका विषयचिवरण ५१८सात प्रकारके गणोंके अपक्रमण-निकलनेका निरूपण ५१९-५२६ सात प्रकार के विभङ्गज्ञानका निरूपण ५२७-५४३ ११२ सात प्रकारके जीवोंका निरूपण ५४४-५४८ ११३ संग्रहके स्थानोंका निरूपण ५४९-५५३ ११४ पिंडैषणाका निरूपण ५५४-५६४ सात प्रकारकी पृथ्वीयों के स्वरूपका कथन ५६५-५६९ ११६ बादर वायुकाय के स्वरूपका कथन सात प्रकारके भयस्थानोका निरूपण ५७१-५७२ ११८ छ छनस्थोको जाननेका निरूपण ५७३-५७५ केवलीयोको जाननेका कथन ५७५ १२० ___ सात प्रकारके मूलगोत्रका निरूपण ५७६-५७९ सात प्रकारका मूलनयका निरूपण ५८०-६०३ सात प्रकारके स्वरोका निरूपण ६०४-६३६ लोकोत्तर कायक्लेशोंका निरूपण ६३७-६३८ १२४ मनुष्यलोक और वर्षधर पर्वतों का निरूपण ६३९-६४३ १२५ कुलकर आदिका निरूपण ६४४-६४७ दण्डनीतिका निरूपण ६४८-६५१ १२७ चक्रवर्ती राजाके एकेन्द्रिय पंवेन्द्रिययाले रत्नोंका निरूपण ६५२-६५३ १२८ दुषम-सुषम काल ज्ञानका कथन ६५४-६५९ १२९ सात प्रकार के आयुष्यके भेदोका कथन ६६०-६६१ मल्लीनाथ भगवानका वर्णन ६६२-६६५ १३१ दर्शनके स्वरूपका निरूपण ६६६-६६७ १३२ छन्नस्थावस्थासे प्रतिबद्ध सूत्रका कथन ६६८-६७० सात प्रकारकी विकथाओं का निरूपण ६७१-६७४ __ आचार्य के सातिशयपनेका निरूपण ६७५-६७७ १२१ १२२ ~ ~ १२६ श्री. स्थानांग सूत्र :०४
SR No.006312
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages775
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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