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सुधा टीका स्था०५ उ० १सू०२२ परीषहसहननिरूपणम् रुभइ वा छविच्छेयं करेइ वा, पमारं वा नेइ उद्दवेइ वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा अच्छिंदइ वा विच्छिदइ वा भिंदइ वा अवहरइ वा १॥ अक्खाइटे खलु अयं पुरिसे, तेणं मे एस पुरिसे अकोसइ वा तहेब जाव अवहरइ वा ॥ ममं च णं तब्भववेयणिजे कम्मे उदिण्णे भवइ, तेण मे एस पुरिसे अकोसइ वा जाव अवहरइ वा ३॥ ममं च णं सम्मं असहमाणस्स अक्खममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासमाणस्स किं मन्ने कजइ १, एगंतसो मे पावे कम्मे कजइ ४॥ ममं च णं सम्म सहमाणस्त जाव अहियासेमाणस्स किं मन्ने कजइ ?, एगंतसो मे निजरा कज्जइ ५। इच्चेएहिं पंचहि ठाणेहिं छउमत्थे उदिण्णे परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा। पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिण्णे परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेज्जा, तं जहा-खित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे, तेण मे एस पुरिसे अकोसइ वा तहेव जाव अवहरइ वा । दित्तचित्ते खल्लु अयं पुरिसे, तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा २॥ जक्खाइटे खलु अयं पुरिसे, तेण मे एल पुरिसे जाव अवहरइ वा ३॥ ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उइण्णे भवइ, तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वाममंच णं सम्म सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पासित्ताबहवे अण्णेछउमत्थासमणा णिग्गंथा उदिपणे उदिण्णे परीसहोवसग्गे एवं सम्मं सहिस्संति
श्री. स्थानांग सूत्र :03