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________________ स्थानाङ्गसूत्रे इति यानदृष्टान्त पुरुषदार्टान्तिकसूत्राणि ॥ मूलम्-चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्ते ४) एयामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्तेणाममेगे जुत्ते ४, । ५। एवं जहा जाणेण चत्तारि आलावगा तहा जुग्गोणवि, पडियक्खो तहेव पुरिसजाया जाव सोहेत्ति ॥सू०१२॥ छाया-चत्वारो युग्या प्रज्ञप्ता, तद्यथा-युक्तं नामकं युक्तम् ४, एवमेष चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा युक्तो नामको युक्तः ४, एवं यथा यानेन पर-अयुक्तरूपवाला होना है-ज्ञानादि गुणवाला, या उचित वेषवाला, या-सुरचित वेषवाला नहीं होता है। अवशिष्ट दो भंग भी इसी तरह से समझ लेना चाहिये। इसी प्रकार से कोई एक पुरुष ऐसा होता है, जो ज्ञानादि गुणों से युक्त होता है और उचित शोभायाला भी होता है यह प्रथम भङ्ग है, १ अवशिष्ट तीन भङ्ग भी इसी प्रकार से जान लेना चाहिये । सू०११ ॥ अब पुनः सूत्रकार दृष्टान्त और--पुरुषदान्तिक सूत्रों को कहते हैं . __ " चत्तारि जुग्गा -पण्णत्ता"-इत्यादि-१२ सूत्रार्थ-युग्य चार कहे गये हैं, युक्तयुक्त, १ युक्ताऽयुक्त, २ अयुक्तयुक्त, ३ और . अयुक्ताऽयुक्त, ४। ऐसे पुरुष भी चार कहे गये हैं - जैसे - युक्तयुक्त, १ इत्यादि । यान के जैसे युग्य के साथ भी युक्तयुक्त परिणत, युक्तरूप, युक्तशोभा. आदि पदों को जोडकर चार आलापक बन जाते हैं ऐसा समझ लेना चाहिये। સુરચિત વેષથી રહિત હોય છે બાકીના બે ભાંગા પણ એજ પ્રમાણે સમજી શકાય એવાં છે. યાનના “યુક્તયુક્ત શોભાવાળું ” આદિ ચાર ભાગ સરળ છે. પુરુષના પણ એવાં જ ચાર ભાંગા સમજવા જેમ કે (૧) કેઈ એક પુરુષ જ્ઞાનાદિ ગુણેથી યુક્ત હોય છે અને ઉચિત ભાવાળે પણ હોય છે. બાકીના ત્રણ ભાગ પણ આ પહેલા ભાંગાને આધારે સમજી લેવા. સૂ. ૧૧ હવે સૂત્રકાર દષ્ટાન્ત અને રાષ્ટ્રન્તિક પુરુષના સૂત્રોનું નિરૂપણ કરે रेछ- "चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता" त्या યુગ્ય (વાહનને ખેંચનાર કે ઉપાડનાર બળદ અથવા પુરુષ) ચાર प्रारना डोय छ-(१) युतयुत, (२) युतायुत, (3) अयुतयुत भने (૪) અયુક્તાયુક્ત એજ પ્રમાણે પુરુષે પણ ચાર પ્રકારના હોય છે. श्री. स्थानांग सूत्र :03
SR No.006311
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size37 MB
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