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________________ आचारांगसूत्र Gad बन्धनस्थानानि, 'वसह करणाणि वा' वृषभकरणानि वा वृषभबन्धनस्थानानि वा 'अस्सकरणाणि ar' अश्वकरणानि वा घोटकबन्धनस्थानानि वा 'कुकुडकरणाणि वा' कुक्कुटकरणानि वा - कुक्कुट - Faceथानानि वा 'मकडकरणाणि वा' मर्कटकरणानि वा वानरबन्धनस्थानानि वा 'नायकगाणि वा गजकरणानि वा - हस्तिबन्धनस्थानानि वा 'लावयकरणाणि वा' लावककरणानि वा-लाकनामक्षुद्रलघुपक्षिबन्धनस्थानानि वा 'वयकरणाणि वा' वर्तककरणानि वा-वर्त - कनाम लघुपक्षिजातिबन्धनस्थानानि वा 'तित्तिरकरणाणि वा' तित्तिरकपक्षिबन्धनस्थानानि वा 'कवकरणानि वा' कापोतकरणानि वा पारावतबन्धनस्थानानि वा 'कर्विजलकरणाणि वा' कपिञ्जलकरणानि वा - कपिञ्जलनामपक्षिविशेषबन्धनस्थानानि वा यदि जानीयादिति पूर्वेणान्वयस्तर्हि 'अभयरंसि वा तहष्पगारंसि थंडिलंसि' अन्यतरस्मिन् वा - अन्यस्मिन् वा तथाप्रकारे - मनुष्यचु लिह कापा करन्धनादि स्थानयुक्ते स्थण्डिले 'नो उच्चारपासवणं वो सि GS की रन्धन रसोईघर पाकशाला है या 'महिसकरणाणि वा' महिषी अर्थात् भेसों को बान्धने का स्थान है या 'बसहकरणाणि वा' वृषभ बैलों को बान्धने का स्थान है या 'अस्सकरणाणि वा' अश्व अर्थात् घोडे को बांधने का स्थान है या 'कुकुडकरणाणि वा' कुक्कुट - मुर्गों को बान्धने का स्थान है या 'मक्कड करणाणि ar' मर्कट अर्थात् बानरों को बांधने का स्थान हैं या 'गयकरणाणि वा' गज अर्थात् हाथी को बांधने का स्थान है 'लावयकरणाणि वा' लावक नाम के छोटे छोटे पक्षियों को बांधने का स्थान है या 'वध्य करणाणि वा बतक अर्थात् बटेर नाम के पक्षियों को बांधने का स्थान है या 'तित्तिरकरणाणि वा' तितिर नामके पक्षियों को बांधने का स्थान है या 'कवोपकरणाणि वा कपोत अर्थात् कबूतर नाम के पक्षियों को बांधने का स्थान है या 'कविजलकरणाणि वा' कपिंजल नाम के पक्षि विशेष को बांधने का स्थान है या 'अन्नयरंसि वा तहपगारंसि थंडिलंसि' इस प्रकार यदि जान ले या देख ले तों साधु और साध्वी को इस प्रकार के अथवा 'महिसकरणाणि वा' लेशो मधवानुं स्थान छे. अथवा 'वसहकरणाणि वा' होने मांधवानुं स्थान छे अथवा 'अस्सकरणाणि वा' घोडा मांघवानुं स्थान हे अथवा 'कुक्कडकरजाणिवा' भरघडा बांधवातु स्थान छे अथवा 'मकडकरणाणि वा' भांडा बांधवानु स्थान छे. अथवा 'गय करणाणि वा' हाथीयो मधवानुं स्थान छे. अथवा 'लावयकरणाणि 'बा' सा१४ नामना नाना नाना पक्षियोंने गांधवानु' स्थान हे 'वट्टकरणाणि वा' अथवा पर्त भेटले } मत नामना पक्षियने गांधवानु' स्थान छे. अथवा 'तितिरकरणाणि वा ' तेतर ने बांधवानुं स्थान छे. अथवा 'कवोयकरणाणि वा' अणुतशेने गांधवानुं स्थान छे. अथवा 'कविजलकरणाणि वा' ४पिंगल नामना पक्षिने मांधवानुं स्थान छे. अथवा 'अन्नयर'सि वा तहपगारसि थंडिलंसि' मील पशु तेवा अारना स्थडिसमां साधु भने साध्वी या रीतना भालुसोना रसोडा विगेरे बाजा स्थंडिसभां 'ना उच्चार पासवणं वोसिरिज्जा' શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૪
SR No.006304
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1979
Total Pages1199
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size83 MB
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