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आचारांगसूत्रे 'गरिहित्ता' गर्हित्वा-गुरुप्रभृतीनां साक्ष्ये महणां कृत्वा 'पडिकमित्ता' प्रतिक्रम्य--पापकर्यतः निवृत्तिरूपं प्रतिक्रमणं विधाय 'अहारिहं उत्तरगुणपायच्छित्ताई पडिवजित्ता' यथाईम्-यथायोग्यम् उत्तरगुणप्रायश्चित्तानि-मूछोत्तरगुणसम्बन्धिप्रायश्चित्तं प्रतिपद्य स्वीकृत्य गृहीत्वेत्यर्थः 'कुससंथारगं दुरूहित्ता' कुशसंस्तारकम्- कुशासनम् दुरुह्य-भारूह्य कुशासने उपविश्येत्यर्थः 'भत्तं पच्चक्खायंति' भक्तं प्रत्याख्यातः भक्त प्रत्याख्याननामकम् अनशमं स्वीकुरुत इत्यर्थः 'भत्तं पञ्चक्खित्ता' भक्तं प्रत्याख्याय-भक्तप्रत्याख्यान नामकम् अनशनव्रतं विधाय तदनन्तरम् 'अपच्छिमाए मारणंतियाए संले हणाए' अपश्चिमया -अन्तिमया मारगान्तिकया संलेखनया-शरीरसंलेखनया 'झुसियसरीरा' शोषितशरीरौ-शरीरे शुष्के कृत्वा 'कालमासे कालं किच्चा' कालमासे- यथासमये कालं कृत्वा-मृत्युं प्राप्य 'तं सरीरं विप्पजहिता' तत् शरीरम्औदारिकशरीरे विग्रहाय-त्यक्त्वा 'अच्चुए कप्पे' अच्युते कल्पे-द्वादशे देवलोके-अच्युत नामकद्वादशे विमाने 'देवत्ताए उपबन्ना' देवत्वेन उपपनौ-उत्पन्नौ इत्यर्थः 'तत्रोणं आउ. निंदा कर अर्थात् अपने आत्मसाक्षिता में निंदा करके-गरिहित्ता' गुरु आचार्य वगैरह के सामने गर्हणा करके और पडिक्कमित्ता' प्रतिक्रमण कर याने पूर्वकृत पाप कर्म से निवृत्ति रूप प्रतिक्रमण कर 'अहारिहं उत्तरगुणगायब्छिताई' अर्थात्यथायोग्य उत्तरगुणों का प्रायश्चित्त अर्थातू मूलोत्तर गुण संबंधी प्रायश्चित्तके 'पडिवजित्ता' स्वीकार कर 'कुससंथारगं दहित्ता' कुश संस्थारक याने कुशासन पर बैठकर 'भत्तं पच्चक्खायंति' भक्तप्रत्याख्यान नामका अनशन-संथारा को स्वीकार किया 'भत्तं पच्चक्खित्ता' एवं भक्त प्रत्याख्याम नामक अनशनवत कर 'आविछ भाए' उसके बाद अपश्चिम अर्थात् अंतिम 'मारणंतियाए संलेहणाए' मारणान्तिक शरीर संलेखना के द्वारा 'झुसियसरीरा' शरीर को सुखाकर 'कालमासे कालं किच्चा' यथाकाल याने यथासमय काल करके अर्थात् मृत्यु को प्राप्त करके 'तं सरोरं विषजहिता' उस शरीर को अर्थात् औदारिक शरीर को छोड़कर 'अच्चुए कप्पे' अच्युत कल्पमें याने अच्युत नामके द्वादश वें अर्थात पातानी साक्षिपमा नि ४शन तथा 'गरहित्ता' शु३ मायाय विशेरनी सामी
। शन तथा 'पडिक्कं मित्ता' प्रतिभए अर्थात पानी निवृत्ति३५ प्रतिभएy १श 'अहारिहं' यथाई यायोग्य 'उत्तरगुण पायच्छित्ताई पडिवज्जित्ता' उत्तर गुणना प्रायश्चित्त अर्थात भूसात्तर सु धा प्रायश्चित्तने। वा४।२ ४रीन 'कुससंथारगं दुरुहित्ता' १सया२४ सेट है हम ना मासन५२ मेसीने 'भत्तं पच्चक्खित्ता' मत प्रत्याध्यान नामना सनसनी स्वा१२ ५शन 'अपच्छिमाए मारणंतियाए' ५५श्चिम अर्थात छेत्री भाणालित 'संलेहणाए' सोमना द्वारा 'झुसियसरीरा' १२२ सुवीने 'कालमासे कालं किचा' यथा॥ 2 है ये:२५ समये ३ रीने मेट भरने। २०४२ ४० 'तं सरीरं विपजहिता' से शीरने अर्थात मोहोरि शरीरने छ।31 'अच्चुए कप्पे देवत्ताए उबवन्ना' અયુત ક૯પમાં અર્થાત્ અયુત નામના બારમા વિમાનમાં એટલે કે અશ્રુત નામના બારમા
श्री सागसूत्र :४