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________________ - आचारचिन्तामणि-टीका अवतरणा (१) तत्र मासविचारः पौष-चैत्र-ज्येष्ठा-पाढ-मासान् विहाय शेषा मासाः प्रशस्ताः । विशेषतो मासफलमाह(१) श्रावणे-शुभम् । (७) माघे-ज्ञानवृद्धिः। (२) भाद्रपदे-शिष्याल्पता। (८) फाल्गुने-सुख-सौभाग्य-यशोदृद्धिः। (३) आश्विने-सुखम् । (९) चैत्रे-अल्पसुखम् । (४) कार्तिके-विद्यावृद्धिः। (१०) वैशाखे-रत्नत्रयलाभः । (५) मागशीर्ष-शुभम् । (११) ज्येष्ठे-सामान्यम् , तत्रान्यबलसत्वे शुभम् । (६) पौषे-विद्याद्ययभावः। (१२) आषाढे-गुरुबन्धुना सह प्रेमाल्पता। (१) मास-विचार पौष, चैत्र, ज्येष्ठ और आषाढ मास को छोडकर शेष महीनों में दीक्षा देना प्रशस्त है। विशेष मास-विचार (१) श्रावण - शुभ। (७) माघ – ज्ञान की वृद्धि (२) भाद्रपद - शिष्यों कमी। (८) फाल्गुन-सुख-सौभाग्य और यश की वृद्धि (३) आश्विन - सुख । (९) चैत्र - अल्प सुख (४) कार्तिक - विद्यावृद्धि । (१०) वैशाख – रत्नत्रय का लाभ (५) मार्गशीर्ष -- शुभ। (११) ज्येष्ठ - साधारण, यह मास दूसरे नक्षत्र आदि का बल हो तो शुभ है। (६) पौष-विद्यावृद्धि का अभाव। (१२) आषाढ-गुरुभाइयों के साथ प्रेम की कमी । (१) मास-वियारપિષ, ચૈત્ર, જેઠ અને આષાઢ માસને ત્યજીને બાકીના બીજા મહિનાઓ દીક્ષા આપવા માટે ઉત્તમ છે. વિશેષ માસ-વિચાર(१) श्रावण-शुल. (७) माध-शाननी वृद्धि. (२) माद्रप-शिष्यानी भी. (८) शुन-सु५ सोमाय मने यानी वृद्धि (3) मासो-सुम. (6) थैत्र-५६५ सुम. (४) ति:-विधावृद्धि. (१०) --२त्नत्रयन साल. (५) मार्गशीर्ष-शुभ. (११) ४-साधार, सामासमां मील नक्षत्र વગેરેનું બલ હેય તે શુભ છે. (6) पोष-विधान मा. (१२) अषाढ-शु३मामानी साथे प्रेमनी भी. શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૧
SR No.006301
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages781
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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