________________ सागर कहने को 'रत्नाकर' है परन्तु सब जानते हैं कि रत्न, उसकी गहराई में खोजने पर ही प्राप्त होते हैं। 'उत्तराध्ययन सूत्र' में रत्न खोजने की आवश्यकता नहीं। इसकी तो प्रत्येक पंक्ति रत्न है। एक-एक शब्द अमूल्य है। एक-एक वाक्य परिपूर्णकारी ज्ञान का पर्याय है। एक-एक पद समग्र जीवन-दर्शन का द्वार है। आंखें खोलते ही स्वयमेव खुल जाने वाला द्वार है। कदम बढ़ाते ही प्रशस्त हो जाने वाला पथ है यह शास्त्र। साधना से साध्य तक, कर्म से फल तक तथा जीव से अजीव तक विस्तृत ज्ञान के गहनतम् विपुल भण्डार का नाम है- 'उत्तराध्ययन सूत्र'। आत्म-परिचय से आत्मोपलब्धि तक, सभी सिद्धि-दायक प्रक्रियाओं की सम्पूर्ण विवेचना है यह। इसका पठन-पाठन, चिन्तन-मनन व आचरण पारस के समान है। इसके सम्पर्क से असंख्य लौह, स्वर्ण बन गये, असंख्य अज्ञानी, ज्ञानी हो गये और असंख्य बंधन, मुक्ति हो चले। - -- -सुभद्र मुनि