________________
42. मनोकामना-पूर्ति 43. अक्षीण-ऋद्धि 44. सभा-तोष 45. राजभय-निवारण 46. बंधन-मुक्ति 47. राग-द्वेष-निवारण 48. तृष्णा-शान्ति 49. प्रवचन-प्रभावना 50. मानसिक-तनाव-मुक्ति 51. रस-तृष्णा-शान्ति | 52. औषधि प्रभावक हो। 53. देव-बाधा-शान्ति 54. ग्रह-शान्ति 55. आरोप-निवारण
तेईस, 1 तेईस, 6-7 तेईस, 20; तेईस, 89 तेईस, 36 तेईस, 41 तेईस, 43 तेईस, 48 तेईस, 85 बत्तीस, 2 बत्तीस, 10 बत्तीस, 12, II छत्तीस, 207 छत्तीस, 208 छत्तीस, 265
जप-विधि :
आप जिस मंत्र-गाथा की साधना करना चाहते हैं, उसे तथा उसकी जप-विधि को गुरु-मुख से ग्रहण करें। यह मंत्र-गाथा-साधना की सर्वोत्तम विधि है। यदि किसी कारण से गुरु-सान्निध्य उपलब्ध न हो तो इस विधि से साधना करें :
वांछनीय उद्देश्य की पूर्ति करने वाली गाथा उक्त तालिका से चुनें। उसे शुद्ध याद कर लें। किसी शुभ दिन व शुभ समय में साधना प्रारम्भ करें। जीव-रहित व स्वच्छ स्थान व आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह कर बैठे। सर्वप्रथम पांच बार नमोक्कार महामंत्र का जाप करें। तत्पश्चात् 'ॐ भगवते श्री महावीराय नमः', इस मंत्र का 27 या 108 बार जाप करें। फिर तीन बार गुरु-वन्दना करें। इसके बाद शास्त्र की, याद की हुई गाथा का 27 या 108 या गुरु-निर्देशानुसार संख्या में जाप करें। जपसाधना पूर्ण आस्था एवं एकाग्रता के साथ करें।
00
परिशिष्ट
८८६