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होगा। कर्म-क्षय होते ही समस्या स्वतः विलीन हो जायेगी।
जीवन की विशेष परिस्थितियों में आगम की विशेष गाथाओं का स्मरण व जाप करने से विशेष प्रयोजन सिद्ध होते हैं। इस प्रक्रिया में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मनुष्य का (हमारा) मूल उद्देश्य कर्म-निर्जरा व मुक्ति प्राप्त करना है, संसार या सांसारिक पदार्थ प्राप्त करना नहीं। विशेष वांछनीय उद्देश्यों के लिये 'उत्तराध्ययन' की विशेष गाथाओं का एक चयन यहां प्रकाशित किया जा रहा है। किस उद्देश्य के लिये कौन-सी मंत्र गाथा का जप उपादेय होगा, यह निम्न तालिका से समझें : क्रम वांछनीय उद्देश्य अध्ययन, गाथा संख्या व गाथा पंक्ति* संख्या 1. वैमनस्य-निवारण एक, 39,I 2. क्रोध-शमन
एक,40,I 3. ज्ञान-लाभ
एक, 46%3D ग्यारह, 14 4. वासना-शान्ति
दो, 163 आठ, 6%; आठ, 18 5. कलह-निवारण दो, 24; छत्तीस, 63 6. श्रद्धा-वृद्धि
दो, 45, 1; बीस, 59; पच्चीस, 2 7. धर्म-वृद्धि
तीन, 12; बीस,1 8. लोभ-मुक्ति
चार, 53; नौ, 48 9. कष्ट-रहित-मृत्यु पांच, 18 10. पुण्य-वृद्धि
सात, 14; ग्यारह, 263; अट्ठारह, 34%;
बाईस,5 11. सद्गति-प्राप्ति पांच, 22, II; सात, 29 12. पाप-निवृत्ति
आठ,9 13. चारित्र-दृढ़ता
आठ, 19; दस, 30; इक्कीस, 13 14. वैराग्य-वृद्धि
नौ, 43; नौ, 15%3; दस, 29 15. स्वप्न-दर्शन
नौ, 6
* जहां I लिखा है, वहां गाथा की पहली, और जहां II लिखा है, वहां गाथा की दूसरी पंक्ति से अभिप्राय है। जहां कुछ नहीं लिखा, वहां सम्पूर्ण गाथा मंत्र-गाथा है।
परिशिष्ट
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