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७१. बादर पर्याप्त (पृथ्वीकाय जीव) के दो भेद कहे गये हैं- (१) इन श्लक्ष्ण-मृदु, और (२) खर-कठोर। उनमें श्लक्ष्ण के सात भेद जानने चाहिएं।
७२. (वे सात भेद इस प्रकार हैं-) (१) कृष्ण, (२) नील, (३) रक्त, (४) पीत, (५) श्वेत, (६) पाण्डु (भूरी) मिट्टी, और (७) पनक (अतिसूक्ष्म रज)। 'खर' पृथ्वी छत्तीस प्रकार की होती है।
७३. (खर पृथ्वी के छत्तीस भेद-) (१) (शुद्ध) पृथ्वी, (२) शर्करा-कंकरीली, (३) बालू, (४) उपल (पत्थर), (५) शिला (चट्टान), (६) लवण, (७) ऊष (खारी मिट्टी), (८) लोहा, (६) ताम्बा, (१०) त्रपु (रांगा), (११) शीशा, (१२) चांदी, (१३) सोना तथा (१४) वज्र (हीरा)
७४. (इसके अतिरिक्त, बादर पृथ्वीकायों में) (१५) हरिताल, (१६) हिंगुल, (१७) मैनसिल, (१८) सासक (धातु-विशेष), (१६) अंजन, (२०) प्रवाल (मूंगा), (२१) अभ्रक, (२२) अभ्र बालुक (अभ्रक की परतों से मिला बालू) । (निम्नलिखित) मणियों के प्रकार (भी) बादर (पृथ्वी) काय हैं
७५. (उदाहरणार्थ -) (२३) गोमेदक, (२४) रुचक, (२५) अंक, (२६) स्फटिक व लोहिताक्ष, (२७) मरकत व मसारगल्ल, (२८) भुजमोचक, और (२६) इन्द्रनील ।
७६. (तथा) (३०) चन्दन, गेरुक व हंसगर्भ, (३१) पुलक, (३२) सौगन्धिक, (३३) चन्द्रप्रभ, (३४) वैडूर्य, (३५) जलकान्त, (३६) सूर्यकान्त ।
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अध्ययन- ३६
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