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अध्ययन परिचय
इकसठ गाथाओं से यह अध्ययन निर्मित हुआ है। इसका केन्द्रीय विषय है-लेश्याएँ। लेश्या का अर्थ है-भाव या अध्यवसाय या प्रवृत्ति। व्यक्ति के अंतर्बाह्य जगत् की विभिन्न स्थितियों से भाव या अध्यवसाय या प्रवृत्तियाँ निर्मित होती हैं और इन प्रवृत्तियों से अंतर्बाह्य जगत् की विभिन्न स्थितियाँ निर्मित होती हैं। ये प्रवृत्तियाँ जैन धर्म में लेश्याएँ कहलाती हैं। इन का विज्ञान प्रस्तुत करने के कारण इस अध्ययन का नाम 'लेश्याध्ययन' रखा गया। यह विज्ञान जैन धर्म द्वारा प्ररूपित मनोविज्ञान (आत्म-विज्ञान) है।
मन-वचन-काया की प्रवृत्तियाँ अर्थात् लेश्याएँ कषायों से अनुरंजित भी होती हैं। ये विविध कर्मों को आत्मा के साथ जोड़ने का कार्य करती हैं। व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्मित करतीं हैं। उसके अतीत के परिणाम और भविष्य के कारण होती हैं। इन के दो रूप हैं-भाव लेश्या और द्रव्य-लेश्या। भाव लेश्या कषायों द्वारा योगों के अनुरंजन से बनती हैं और द्रव्य लेश्या पुद्गलों से। भाव
और द्रव्य वस्तुतः लेश्याओं के अंतर्जगत् व बाह्य जगत् में प्रतिबिम्बित रूप हैं। द्रव्य लेश्या मूलत: अतीत (पूर्व-भव) का परिणाम होती है और शरीर का स्वरूप प्रदान करती है। यह जीवन में प्रायः नहीं बदलती। भाव लेश्या जीवनस्थितियों तथा ज्ञान-अज्ञान से निर्मित होती है। यह जीवन में कभी भी बदल सकती है। बदलती रहती है। इस परिवर्तन-प्रक्रिया से मनुष्य पूर्णत: लेश्या-रूपान्तरण कर सकता है। अपने भविष्य को बना या बिगाड़ सकता है।
कृष्ण, नील, कापोत, तेज, पद्म और शुक्ल, ये छह लेश्याएँ हैं। प्रथम तीन अशुभ तथा अंतिम तीन शुभ लेश्याएँ हैं। ऐर्यापथिकी क्रिया में शुक्ल लेश्या के निर्माण में कषायों की कोई भूमिका नहीं होती। वह केवल योग से होती है। शेष क्रियाओं में सभी लेश्याएँ योगों व कषायों से निर्मित होती हैं। अन्तर कषायों की तीव्रता व मन्दता का है। सभी लेश्याओं को जीव की आणविक-आभा भी कहा गया है। जो जिस लेश्या से प्रभावित-संचालित होता है, उसका आभा-मण्डल उसी के अनुरूप बन जाता है। उसी के अनुरूप उसका प्रभाव आस-पास के वातावरण पर होता है। उसी के अनुरूप उसकी
आत्मा से कर्म संयुक्त होते रहते हैं। उसका भविष्य निर्मित होता रहता है। विज्ञान की नवीन प्रगति से मनुष्य के मन में उपस्थित होने वाली शुभ-अशुभ प्रवृत्तियों के तथा उनके भिन्न-भिन्न रंगों के चित्र लेना भी संभव हुआ है। यह लेश्याओं के विज्ञान- समर्थित होने का भी द्योतक है।
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उत्तराध्ययन सूत्र