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________________ १२. (इनमें) जो ‘मरणकाल' अनशन है, (शारीरिक चेष्टा के आधार पर) उसके दो भेद बताए गए हैं। काय-चेष्टा के आधार पर (पहला) 'सविचार' (करवट बदलने आदि शारीरिक चेष्टाओं से सहित) तथा (दूसरा) अविचार (उक्त चेष्टाओं से रहित) होता १३. अथवा (मरणकाल अनशन के दो भेद हैं-) १ सपरिकर्म (अन्य से सेवा कराने की अनुमति से युक्त) और २. अपरिकर्म (अन्य से सेवा कराने की अनुमति से रहित)। (इसी तरह प्रकारान्तर से २ भेद और भी हैं-) १. निर्हारी (पर्वत, गुफा आदि एकान्त स्थान में किया गया, तथा अन्तिम संस्कार की अपेक्षा से रहित 'आमरण अनशन') और २. अनिर्हारी (ग्राम, नगर आदि में किया गया तथा अन्तिम संस्कार की अपेक्षा वाला आमरण अनशन)। (आमरण अनशन के) दोनों प्रकारों (सपरिकर्म या अपरिकर्म, निर्हारी या अनिर्हारी) में आहार का परित्याग किया जाता है। १४. संक्षेप में १. द्रव्य २. क्षेत्र ३. काल ४. भाव और ५. पर्यायों की अपेक्षा से 'अवमौदर्य' (या ऊनोदरी नामक बाह्य तप) को पांच प्रकार का बताया गया है। -- १५. जिसका जो (जितना, पूर्ण) आहार हो, उससे कम, जघन्यतः एक सिक्थ (एक धान्यकण या एक ग्रास) कम (और उत्कृष्टतः आठ ग्रास से लेकर एक धान्य कण तक आहार) करे, तो इस प्रकार वह 'द्रव्य की दृष्टि से अवमौदर्य' (ऊनोदरी) तप होता है। १६. ग्राम, नगर, राजधानी, निगम (व्यापारिक मण्डी), आकर (सोने आदि की खान वाले विशिष्ट स्थान), पल्ली (ढाणी साधारण लोगों की या चोरों की बस्ती), खेट (मिट्टी के परकोटे से युक्त छोटे गांव), कर्वट (कस्बा, छोटा नगर), द्रोणमुख (बन्दरगाह, अथवा जल-स्थल-दोनों प्रकार के मार्गों वाली बस्ती), पत्तन अध्ययन-३० ६१६
SR No.006300
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year1999
Total Pages922
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size125 MB
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