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१३. प्रत्याख्यान
१४. स्तव, स्तुति-मंगल १५. काल-प्रतिलेखना
१६. प्रायश्चित्त करण १७. क्षमापना
१८. स्वाध्याय १६. वाचना
२०. प्रतिप्रच्छना २१. परावर्तना (पुनरावृति) २२. अनुप्रेक्षा २३. धर्मकथा
२४. श्रुत-आराधना २५. एकाग्रमन की स्थापना २६. संयम २७. तप
२८. व्यवदान (विशुद्धि) २६. सुखसाता
३०. अप्रतिबद्धता ३१. विविक्त शयन-आसन-सेवन ३२. विनिवर्तना ३३. संभोग-प्रत्याख्यान
३४. उपधि-प्रत्याख्यान ३५. आहार-प्रत्याख्यान
३६. कषाय-प्रत्याख्यान ३७. योग-प्रत्याख्यान
३८. शरीर-प्रत्याख्यान ३६. सहाय-प्रत्याख्यान
४०. भक्त-प्रत्याख्यान ४१. सद्भाव-प्रत्याख्यान ४२. प्रतिरूपता ४३. वैयावृत्य
४४. सर्वगुणसम्पन्नता ४५. वीतरागता
४६. क्षान्ति ४७. मुक्ति (निर्लोभता) ४८. आर्जव (ऋजुता) ४६. मार्दव (मृदुता)
५०. भावसत्य ५१. करणसत्य
५२. योगसत्य ५३. मनोगुप्ति
५४. वचनगुप्ति ५५. कायगुप्ति
५६. मनःसमाधारणा ५७. वाक्समाधारणा
५८. काय समाधारणा ५६. ज्ञान-सम्पन्नता
६०. दर्शन-सम्पन्नता ६१. चारित्र-सम्पन्नता
६२. श्रोत्रेन्द्रिय-निग्रह ६३. चक्षुइन्द्रिय-निग्रह
६४. घ्राण-इन्द्रिय-निग्रह ६५. जिह्वा-इन्द्रिय-निग्रह ६६. स्पर्श-इन्द्रिय-निग्रह ६७. क्रोध-विजय
६८. मान-विजय ६६. माया-विजय
७०. लोभ-विजय ७१. प्रेम-द्वेष-मिथ्यादर्शन-विजय ७२. शैलेशी (अवस्था) ७३. अकर्मता अध्ययन-२६