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३६. “(इसी प्रकार) महान् ऋद्धि-सम्पन्न, महायशस्वी 'मघवा' नामक
चक्रवर्ती भी भारतवर्ष (साम्राज्य) को छोड़ कर प्रव्रजित हुए थे।"
३७. “महान् ऋद्धिशाली, मनुष्येन्द्र चक्रवर्ती सनत्कुमार ने भी अपने
पुत्र को राज्य (सिंहासन) पर स्थापित किया, तदनन्तर उस राजा ने भी तपश्चरण किया ।"
३८. “महान् ऋद्धिशाली तथा लोक में शान्ति (स्थापित) करने वाले
'शान्तिनाथ' चक्रवर्ती ने भी 'भारतवर्ष' (के साम्राज्य) को छोड़कर, अनुत्तर गति (मुक्ति) प्राप्त की।"।
३६. “इक्ष्वाकु-कुल के राजाओं में श्रेष्ठ, विख्यात कीर्ति वाले व
धैर्यवान् कुन्थुनाथ नामक (चक्रवर्ती) राजा ने (भी) अनुत्तर गति (मुक्ति) प्राप्त की।"
४०.“नरेशों में श्रेष्ट (चक्रवर्ती) 'अरनाथ' ने सागर-पर्यन्त भारतवर्ष
(के साम्राज्य) को छोड़कर (कर्म) रज रहित स्थिति को प्राप्त करते हुए, अनुत्तर गति (मुक्ति) प्राप्त की।"
४१. “महापद्म चक्रवर्ती राजा ने (भी) भारतवर्ष (के विशाल
साम्राज्य) को छोड़कर, तथा उत्तम काम-भोगों को (भी) छोड़कर तपश्चरण किया ।"
अध्ययन-१८
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