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________________ २. 1110A १. काम्पिल्य नगर में (चतुरंगिणी) सेना एवं (रथादि) वाहनों से समृद्ध 'संजय' नाम का (एक) राजा (था, जो एक दिन नगर से) शिकार के लिए निकल पड़ा। अठारहवाँ अध्ययन : संजयीय (उस समय, वह राजा) अश्व-सेना, हस्ति-सेना, रथ-सेना तथा विशाल पैदल सेना से चारों ओर घिरा हुआ (अर्थात् सुरक्षा के घेरे में) था। ३. (वह) काम्पिल्य नगर के 'केसर' (नामक) उद्यान में हरिणों को क्षुभित (भयभीत) कर ले आया, तदनन्तर वहीं (उन) अत्यन्त थके-मांदे व भयभीत मृगों को, (अपने) घोड़े पर बैठा हुआ (ही वह) मांस-लोलुप राजा, पीड़ित करने (या मारने लगा । ४. इधर, (उक्त) केसर उद्यान में, स्वाध्याय व ध्यान से युक्त रहने वाले (गर्दभालि नामक एक) तपोधन अनगार (मुनि) धर्म-ध्यान में एकाग्रचित्त हो रहे थे । अध्ययन- १८ ५. (वे मुनि तो) वृक्षों तथा द्राक्षा व नागवल्ली आदि लताओं से आच्छादित मण्डप में ध्यान कर रहे थे । (किन्तु वह) राजा उन (मुनि) के आसपास में आए हुए मृगों को (भी) बाणों से बींध रहा (या मार रहा था । 399
SR No.006300
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year1999
Total Pages922
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size125 MB
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