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________________ संयम में जो रमण करता हो। रत्नत्रय ही जिसका धन हो। पांच महाव्रत ही जिसका जीवन हो। ऐसे साधक के लिए भिक्षाचर्या विवशता नहीं, चुनाव होती है। भिक्षा-चर्या वह तप-साधना है, जिसका वरण अनेक राजा-महाराजाओं ने किया है। चक्रवर्ती सम्राटों ने भी किया है। यह वरण करने पर उनका परिचय जो एक शब्द बनता रहा, वह है-भिक्षु। इस शब्द का अर्थ है-अहंकार से मुक्ति। समभाव। परीषह-विजय। जितेन्द्रियता। अकिंचनता। कषाय-विजय। ये अर्थ जिसके जीवन में चरितार्थ हों, वह भिक्षु है। भिक्षु-धर्म स्वीकार करने पर ये सभी अर्थ जीवन में पूर्णत: चरितार्थ हो सकते हैं। 'भिक्षु' जैन धर्म का पूज्य पद है। धर्म-संघ का आधारभूत तीर्थ है। अनेक भव्य आत्माओं को संसार-सागर से पार कराने वाली नौका है। नि:स्वार्थभाव से असीम उपकार करने वाली करुणा का साकार रूप है। मनुष्यता का गौरव है। वह इच्छाओं के अधीन नहीं होता। सारी दुनिया की सम्पत्ति एकत्र हो कर भी उसे खरीद नहीं सकती। इसलिए वह कहलाता है-भिक्षु, और होता है-सभी सम्राटों से बड़ा सम्राट। इन्द्रियों के सुख उसके सामने तुच्छ होते हैं। मोह से उत्पन्न होने वाले और मोह उत्पन्न करने वाले सभी सम्बन्ध उसके सामने तुच्छ होते हैं। क्रोध-मान-माया-लोभ का संसार उसके सामने तुच्छ होता है। परीषह और भय उसके सामने तुच्छ होते हैं। मनुष्य को तुच्छ बनाने वाले सभी कारण उसके सामने तुच्छ होते हैं। मनुष्य सर्वोपरि है। भिक्षु इस सत्य का जीवन्त रूप है। अपनी साधना के पराक्रम से वह अपना भविष्य स्वयं बनाता है। अपना परम-कल्याण निर्धारित करता है। वह दीन-हीन दिखाई देता है परन्तु दीनता-हीनता पर मनुष्य की विजय का स्वरूप होता है। इस सत्य की चलती-फिरती उद्घोषणा होता है कि कोई भी कमज़ोरी मनुष्य से बड़ी नहीं होती। ऐसे भिक्षु का व्यवहार कैसा होता है? जीवन कैसा होता है? वह कौन से कार्य नहीं करता? कौन से करता है? उसकी विशेषतायें क्या हैं? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस अध्ययन से प्राप्त होते हैं। सच्चे भिक्षु की पहचान कराने के साथ-साथ श्रेष्ठतम मानव-जीवन का स्वरूप उजागर करने के कारण भी प्रस्तुत अध्ययन की स्वाध्याय मंगलमय है। 00 अध्ययन-१५ २५७
SR No.006300
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year1999
Total Pages922
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size125 MB
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