________________
२६. समस्त धर्मों (क्षमा आदि दश) का अनुवर्तन/पालन करने वाले
'धीर' (परीषहों से अविचलित व बुद्धिमान्) व्यक्ति के धैर्य को (तो) देखो! वह अधर्म को छोड़ धर्मरत (होता हुआ) देवों में उत्पन्न होता है।
३०. बाल भाव (अज्ञान अवस्था) तथा अबाल भाव (ज्ञान अवस्था)
इन दोनों की (गुण-दोष की दृष्टि से) तुलना कर, (विवेक-दृष्टि से) अज्ञान को छोड़कर, पण्डित (ज्ञानी) मुनि ज्ञान का सेवन/आश्रय (ग्रहण) करता है। -ऐसा मैं कहता हूँ।
00
अध्ययन-७
१११