________________
१७. एषणा-समिति से युक्त लज्जावान् (अर्थात् संयमशील मुनि) ग्राम
(आदि) में अनियत (निवास वाला) होकर विचरण करे, और अप्रमादयुक्त रहते हुए प्रमत्तों (अर्थात् गृहस्थों) से (निर्दोष) भिक्षा की गवेषणा करे ।
१८. अनुत्तरज्ञानी, अनुत्तरदर्शी, अनुत्तर ज्ञान-दर्शन के धारी, अर्हन्त
(त्रैलोक्य पूज्य या सर्वज्ञ) (तत्व) व्याख्याता ज्ञात-पुत्र वैशालिक (विशाला/त्रिशला के पुत्र, विशाल प्रवचन, तीर्थ, यश वाले) भगवान् (महावीर) ने ऐसा कहा है। -ऐसा मैं कहता हूँ।
00
अध्ययन-६
६५