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ध्यानकल्पतरू. १० प्रकारके देव बारे, देवलोंक लग है, इनमेंसे ज्यादा ऋद्धि धारी देव है. उन्हे देख कमी ऋद्धि वा ला देव शरमाता है. और पश्चाताप करता है, की मै ऐसा क्यो नहीं हुवा, किनेक बेविचारी देव, अन्य दे वोकी सुरूपा देवीका तथा वस्त्र भूषणका हरण करते हैं. उन्हे इन्द्र शिक्षाद्वारा बज प्रहार करते है, जिससे वो छ महिना तक महा वेदना भोगवते हैं. और भी सबसे ज्यादा दुःख मरणका है. लोभी उन्ह छोड ता नहीं है. मृत्यूके छे मांस पहले उन्हे आलस आ ने लगता है. मेहल, वस्त्र, भुषणकी ज्योती मंद भाष होती है, अच्छे नहीं लगते हे. चित्तमें भ्रम पड़ने लगता है पुष्फमाल कूमलावे. इत्याही चिन्हसे देवता अपना मृत्यू जाण, फिकरमें पड़ जाते है. की हाय ऐसे सुख को छोड अशुची स्थानमें उपजना पडेगा. इत्यादी महा शोक सागरमें डूबे हुये आयुष्य समाप्त करते है. बारे देव लोकसे उपरके देवता अहमेंद्र [स्वता मालक] है. वोभी क्षुद्रा मृत्यूकी पीडा वगैरे मानसिक दुःख भोगवते है. पांच अनुत्र विमान छोड बाकी सब स्था नमें अपना जीव अनंत वक्त उपजके मर आया है, सब तरहकी विटंबना भोगव आये हैं. ___ यह चार गतिके दुःख का संक्षेप में वरणन