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________________ १८० ध्यानकल्पतरू. १६५ प्र-भूख ज्यादा क्यों लगे? उ-खेतीके कर्म करनेसे. ससक्त आश्रितोंको भूखे मारनेसे. १६६ प्र-मृगी झोला क्यों आवे? लोहारकी धम ण धमे, मृगी, आने वालेको सतावेतो. १६७ प्र-बोलते वगासी क्यों आवे? उ--रंगार के कर्म करनेसे. तोतले को चीडानेसे. १६८ प्र-बोलते थुक क्यों उडे ? उ-गोबर सडानेसे. .....१६९ प्र-झाज कायसे डबे? उ-पाखानेमें झाडे जा. ३. मुत्रमें मुत्र करे, सर्व रात्र मुत्रका संग्रह करनेसे. १७० प्र-खोजा क्यों हो? उ-बहुत बन कटाइ करनेसे. खोजोंके साथ क्रिडा करनेसे. १७१ प्र-योवन अवस्थामें दाँत पडजाय श्वेत बाल होवेसो क्या कारण? कोमल विनस्पति का छेदन, भेदन, चटनी कचुमर करनेसे. ... १७४ प्र-भरा नीगल (गुम्बडा) कायसे होवे? उ. फलोको चीर मसाला भरनेसे. ... १७३ प्र--सरीरमें कीडें कायसे पडे ? उ--दूसरेपेघो डेका पिशाब छिटकनेसे. सडी वस्तु खानेसे. .. १७४ प्र-साथही साले रोग कायसे होवे ? उ-- ग्रामोंको उजाड करे लूटे धाडा, पाडनेसे. १७५ प्र-पाले हुवे मनुष्य क्यों बदले? रसोइका
SR No.006299
Book TitleDhyan Kalptaru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherKundanmal Ghummarmal Seth
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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