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तृतीयशाखा-धर्मध्यान. १५७ त्योंमें द्रव्य लगावे तो धनेश्वरी होवें. - १५ प्र-अपुच्या कायसे होवे ? उ-पशु, पक्षी, औ र मनुष्यादीके अनाथ बच्चोंको या यूका (ज्यूं) लीखों को मारे, अन्डे, फोडे, पुत्रवंतोपें द्वेष करे. गाय, भेंस, आदी बच्चोंको दूध पीते खेंच ले. बेंच दे. बिछोहा पडावे. बीजोंकी मींजी निकाले. तो अपुत्र्य ( पुत्र रहित होवे.
१६ प्र-पुत्रवंत कायसे होवें? उ-पशु, पक्षी, मनु ष्यादी के अनाथ बच्चोंका रक्षण, पालण कर, जन्म निर्वाह करने जैसे बनावे तो बहुत पुत्रवत होवे.
१७प्र-कुपुत्र कायसे होवे ? उ-अन्यके पुत्रोंको कूबुद्धी दे के माता पिता का अविनय करावें पितापुत्र का झगडा देख खुश होवे. फूट पडावे. अपने माता पिता को संताप देवे, तथा ऋण और थापण ड्रबावे, तो उसके कपूत (अविनीत) पुत्र होवें.
१८ प्र-सूपूत्र कायसे होवें ? उ-आप माता पिता की भक्ती करें, अन्यको करनेका बोध करें. ® पुत्रोंको धर्म मार्गमें लगावें, सूपुत्र देख हर्षाये तो सूपुच्या
होवें.
__* उववाइजी सूत्रमें फरमाया है की माता पिता की भक्ता करनेसे ६४ हजार वर्ष के आयुष्य वाला देव हावे. .