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बैठो बनडोजी सोवे ॥९॥ वो तो रिवाज ठेठ सुं आयो, अब किम ऊंधी चाल चलाई ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१०॥ बीस, पच्चीस, चालीस, एकावन, क्यों थे बेटा ने बेचो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥११॥ धर्म, समाज ने आप डुबावो, इस कुरीतां सुं हानि घणो होवे ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१२॥ कितनी तो कन्या विष खा जावे, कितनी तो पडे कुवा मांय ओ ब्याही । घोडी पर बैठो वनडोजी सोवे ॥१३॥ कन्या हत्या रे पाप सुं डरने, मति थे समाज बिगाडो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१४।। दो दिन के वाहवाह रे कारण, खोटी गति में जावो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१५॥ सूत्र में बात जो प्रभु जी भाखी, पुत्ररी बीटी नहीं चाली ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१६॥ पुत्री का पिता ने धन जो देनो, ए चालयो सूत्र माय ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१७॥ तेतलि प्रधान पोटिला ने परण्या, सूत्र ज्ञाता में देखो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१८॥ बीटी लेनी सब छोड़ देवो, भलो होसी जग माही ओ ब्याही । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥१९॥ रतन सरीखी कन्या, थाने जो देसा, देसां