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॥ दूसरी घोडी ॥ (तर्ज-धूमे घोडी ने अजब बछे डी)
घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे, पिता-काकाजी इम बोले ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी बोले ॥१॥ घोडी पर बैठो बनडो घणो रे सुहावे, मारा तो कँवर डोरो बीटी मांगे ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे । २॥ डोरा ने बीटी मांसु बन नहीं आवे, कुंकु ने कन्या हाजर करसां ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥३॥ डोरा बीटी नहीं तो मैं नहीं परणां, मारे तो धन री आश ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥४॥ मांगन री आदत थाने कुण सिखाई, मक्तापन किम धारयो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडो जी सोवे । ५।। सूत्र ग्रंथ मांये बीटी नहीं चाली, नहीं देवे गुरु उपदेश ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥६॥ लोभ दशा थाने अधिक जो लागी, किा थे धर्म गमावो ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ॥७॥ साता तो बोटी साथे मंगावो, विश्वास नहीं मन मांही ओ ब्याई । घोडी पर बैठो बनडोजी सोवे ।।८। सातो तो सात रुपमा रो होवे, बीटी तो अंगुली में पेरावे ओ ब्याई । घोडी पर ।।