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दिन बालक जिमावजी ।। शुभ दिन वानै चलालो मारी बाई ॥ देश में चालने धर्म दिपावसी ॥ आछा-आछा हालरिया बालक ने सुनावजो ॥ ऊंची-ऊंची बोली बालक ने सीखावजो ॥ गाल ने झगडा मत सिखावजो मारी बाई ॥ बालक सुधरे तो जमारो थारो सुधरसो ॥ बालक बिगडे तो हाण मारी बाई ॥ पांच वर्ष में भणवांने भेजजो ॥ दस वर्ष रा बालक ने बोडिंग माये राखजो ॥ बहत्तर कला तो पढाओ मारी बाई ॥ अठारह लिपी रो ज्ञान जो सीवावसी ।। सामायिकपडिक्कमणो भणावो मारी बाई ॥ अठारह वर्ष रो जी बालक घर आवनो ।। रेवेला बह्मचारी मांय मारी बाई ॥ धर्म जो दीपे ने कुल थारो दीपसी ।। दीपेला सब परिवार मारी बाई ॥ पंडितजी ने धन जो बहुलो देवजो ॥ देवो घणो सन्मान मारी बाई ॥
॥ हालरियो । (तर्ज-जो आनन्द मंगल चावो तो मनाओ) पुत्र ने राग सुनावे हो माताजी हलरावे, बालक ने राग सुनावे हो माताजी हुलरावे ॥टेर॥ रतन जडत को पालनो, रेशम सेती बनियो, धन जननी थाने जनियो हो माता हलरावे ॥१॥ सोना की सांकल बांधी