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वा रेशम सेती सांधी, फिर अध बिच झूमर बांध्यो हो माताजी हुलरावे ॥२॥ कोई चक्री भंवरा लावे, कोई नत्य करी रिझावे, कोई घुघरिया घमकावे हो माताजी हुलरावे ॥३।। कोई गोदी ले बैठावे, कोई अंगुली पकड़ चलावे, कोई गुदगुल पाड़ हंसावे हो माताजी हुलरावे ॥४॥ कोई सिर पर टोपी मेले, कोई अधर हाथ सं झेले, जिऊ-जिऊं बालक खेले हो माताजी हुलरावे ॥५॥ कोई साडू-पेडा लावे, कोई सरस जलेबी लावे, कोई घेवरिया जिमावे हो माताजी हुलरावे ॥५॥ कोई चमक नींद से जागे, ने रिम-झिम करता भागे, वांरी सुरत सुहावनी लागे हो माताजी हुलारावे ॥७॥ हे सिद्धारथ कुल का चन्दा, माता त्रिशला देवी का नन्दा, ज्यांने सेवे सुर-नर वृन्दा हो माताजी हुलरावे ।।८।। खूबचन्दजी कहे जोइजो, यह रिद्धि को संजोगो, यह करणी का फल भोगों हो ॥९॥ इति ॥ ॥ सगाई के समय बोलने का गीत-घोडी ॥
॥ तर्ज : थे तो मालाओ पेरो जराव री रे लाल ।। धोलो तो घोडो कमल ज्यूं रे लाल, वारे तिलक चमके लीलाड ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१॥ ए तो ए कुणजी घोडी मोलवे रे
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