________________
घणी रेवेजी ॥ बालक ने दूध निर्मल जो आवे, पीयने
ओ बालक सुखी होवेजी ॥ वीर तो निकलने धर्म दिपावे, कुल दिपावे, वस्त्र नरम पेरावजोजी ॥ गहनो तन पर नानाजी मत पेरायजो, मामाजी मत पेरायजो, बालक री हत्या हो जावसीजी ।। दाय माता सुं तो पालन करावो, सुख-सुखे बालक मोटो होवसीजी
॥ जलवां पूजने के समय बोलने का गीत ।।
(तर्ज-बाडाजी विचलीजी पीपली ) मात पिताजी ए पीलो भेजियो, माथो गुंथावन शुभ दिन मारी बाई, पोलो तो ओढन, कलश्यो है हाथ में, मंगल गायन गावे मारी बाई, बाजा तो बाजे, बहुत सुहावना ।। आया है बागां रे मांय मारी बाई ॥ बागां में बावडी जो जल भरयो ॥ जिनरो है निर्मल नीर मारी बाई । कुवा पूजन जच्चारानी चालीया ॥ नीर की सीर ज्यूं दूध मारे आवजो ॥ बालूडो तो पीवेला पेट भर बाई। तन में तो साताजी बालक रे होवसी॥ झगल्या तो टोपी मामासा लावीया, पालनिया में बालक ने पोढाओ मारी बाई । झूला तो देयजो जिम धरती धुजावसी ।। शुभ दिन मांये तो झडुलो निकालजो ॥ कान बिन्दायजो शुभ दिन मारी बाई ॥ भोजन शुभ