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बच्चे के जन्म होने के बाद बोलने का गीत (तर्ज-तालो तो कुण खटकावियाजी काई रेण पाछलड़ी रात ।)
बाई तो सूता नींद में जी कांई, प्रसूती वेदना प्रगटाय । उठो प्रीतमजी वेग सुं जी मारी, दाय माता ने बलाय । दाय माता तो आवियाजी कांई जनम्या है पुत्र-पुत्री जान तीक्षण छुरियाँ मंगायने जी कांई, चार अंगुल प्रमाण । नालो तो काटयो विवेक सुंजी कांई, बालक दुःख नहीं पाय सासुजी ने वेगा बुलावजो जी कांई, शाल बजायो तिणवार सुसराजी ने वेगा बुलावजो जी कांई, नवकार मंत्र सुनाय । घटको दिरावो गुड़ की जी कांई, शुभ वेलारे मांय । गंगा जल सं नवावियाजी कांई, पीलोजी पाट पलेट । पिताजीने वेगा बुलायजो जी काई, चन्द्र सूर्य दर्शन कराय। छ दिन धर्म जागना जागनाजी कांई, नारियां मंगलगाय। ग्यारहवें दिन अशुचि निवारवेजी कांई, नावण धोवण कराय नाई रो बेटो बुलावजोजी काई, आंगण साफ कराय । मोतियांरा चौक पुरावजोजी कांई, पगलियां देवो मंडाय कुंभार ने वेगा बुलावजोजी काई, कुंभ कलश लेने आय । खाती ने वेगा बुलावजोजी कांई, बैठन पाट जो लाय । पंडित ने वेगा बुलावजोजी काई, कंवरा रा नाम दिराय। पोलो तो ओढ़ पाट विराजियाजी कांई, बालक लीनो गोद