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घुटकी का गीत (तज--अभी भूख से रोते-रोते लाल हमारा ) पांखों बाहर बालो आयो, माता बेन सुनावे यूँ । मारी कूख दिपाइजे रे बाला, मैं थने सखरी चूंटी हूँ। तेज कटारी नालो मोड्यो, नालो मोडत बोली में। दुष्मन की फौजों में जायजे, जय विजय कर आयजे तूं ॥१॥ पांखों बाहर बालो आयो, माता बेन सुनावे यूँ। महलां चढ़ने थाल बजावे, थाल बजावत बोली यू । चार खंट चौताला बीच में, नौपतडी बजवायजे तं ॥२॥ पांखों बाहर बालो आयो, माता बेन सुनावे यूं। कुआ पूजन घर से निकली, कलशां भरती बोली यं । चार खूट चौताला बीचमें, आरतडी करवायजे तूं ॥३॥ पांखों बाहर बालो आयो, माता वेन सुनावे यूं । गोदियां सूतो बालो चूंगे माता वचन सुनावे यूं । धोला दूध में कायरता को, कालो दाग न लगायजे तूं ॥४॥ पांखों बाहर बालो आयो, माता वेन सुनावे यं । सोने पालन बालो जले, जूले जुलावत बोली यूं । सारी पृथ्वी हिलायजे रे बाला, मैं थने जितरे जोला दूं ॥५॥ पांखों बाहर बालो आयो, माता वचन सुनावे यूं। शहर जोधाणा मायें आवे, दौलत राम सुनावे यं । माता शिक्षा ऐसी देवे, फिर वो बालक बिगडे क्यूं ॥६॥
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