SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओ जी जतना सं चलनो धीमी चाल, जिम गर्भ सुख पावे गौतम ॥१३॥ नीची होई मेंदो नहीं काढ़नो गौतम । ओ जी चूला-चक्की को काम नहीं लेवनो, करनो धर्म क्रिया गौतम ॥१४॥ क्रोध, भय नहीं लावनों गौतम, ओ जी नहीं करनो झगडो टंटो, गर्भ क्रोधी होवे गौतम ॥१५॥ ब्रह्मचर्य नित, पालनो गौतम । ओ जी खिम्या करनो मन मांय, पुन्यवंत जन्मसी गौतम ॥१६॥ गर्भ का नियम बताविया गौतम, ओ जी दोष टालने चालसी, पुन्यवंत माता गौतम ॥१७॥ ॥ साद का गीत ॥ (तर्ज-पहलो मास उललियो राज भंवरती) पहलो मास जो लाग्यो ओ प्रीतमजी, मारे दूध शक्कर मन लाग्यो माराराज । आ तो साद भलेरी हे महारानी, थे नित को दूध पीवो माराराज ॥१॥ दूजो मास जो लाग्यो ओ प्रीतमजी, मारे दारे दान देवन मन लाग्यो माराराज । आ तो साद भलेरी हे महारानी थे नित को दान जो देवो माराराज ॥२॥ तीजो मास जो लाग्यो ओ प्रीतमजी, मारो शील पालन मन लाग्यो माराराज । आ तो साद भलेरी हे महारानी, थे नित को शील जो पालो माराराज ॥३।। चौथो मास जो 80
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy