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जीव, किम रेवे भगवंत । ओ जी उत्तर सुन भविक अचरज पाया है भगवंत ॥२॥ नीचो सिर ऊंचो, पग रेवे गौतम । ओ जी रक्त वीर्य को आहार लेवे, असुचि में रेवनो गौतम । ३॥ पुन्यवंत गर्भ में आवे तब, शुभ सपनो लेवे गौतम, ओ जी चवदे सपना देखे, तीर्थकर मायडी गौतम ।।४।। चक्रवर्ती री माता, चवदे सपनो देखे है गौतम । पण वह अस्पष्ट देखती, इम जानजो गौतम ॥५।। वासुदेव री माता, सात सपनो देखे हे गौतम । ओ जी बलदेव री माता, चार सपनो देखे हे गौतम ।।६।। माण्डलीक राजा री माता, एक सपनो देखे हे गौतम । ओ जी साधु री माता, एक सपनो देखे है गौतम ॥७॥ तीजे मास डोहलो, उपजे गौतम । ओ जो डोहला ऊपर फरकजे, पुन्य-अपुन्यवंत गौतम ।।८।। गर्भ तणी करे प्रति, पालन गौतम । ओ जी अनुकंपा दिल लाय ने, सुनो आगे है गौतम ॥९॥ खाटो, मीठो, चरको, परपरो गौतम । ओ जी खानो थोड़ो प्रमाण, बहुत नहीं खावनो गौतम ॥१०॥ ठंडो, ऊणो, लूखो, बासी, चोपड्यो गौतम, ओ जी लेनो अल्पज आहार, जिम गर्भ सुख पावे गौतम ॥११।। मीठी, मेठ, नहीं खावनो गौतम, ओ जी नहीं खाबनो कोयलो राख, गर्भपात होवे गौतम ॥१२॥ जतना सुं उठ, बैठनो गौतम ।