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________________ नव दस मास पूरा थयाजी, ओ जी जन्मा छ पुन्यवंत पूत, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१९॥ चौसठ इन्द्र चली आवियाजी, ओ जी छप्पन दिशा कुमारी, सपना लाद्याजी ढलती रात का ॥२०॥ अशचि कर्म निवारनेजी, ओ जी गावे है मंगलाचार, सपना दीठा है ढलती रात का ॥२१॥ इसडा सपना अचलादेवी देखियाजी, ओ जी शान्तिनाथ री माय, सपना लाद्या जी ढलती रात का ॥२२॥ इसडा सपना सेवादेवीजी देखियाजी, ओ जी नेमीनाथ री माय, सपना लाद्या जी ढलती रात का ॥२३॥ इसडा सपना वामादेवी देखिया जी, ओ जी पार्श्वनाथ री माय, सपना लाद्याजी ढलती रात का॥१४॥ इसडा सपना त्रिशलादेवीजी देखियाजी ओ जी महावीर री माय, सपना लाद्याजी ढलती रात का ॥२५॥ ॥ मेहन्दी और चून्दडी ॥ (तर्ज : थारी थारी ओ बेइजी नार वही दूध ) थारी २ मोरादेवी कुख, रतन जडाव सुं जडी। थारी २ अचला देवी कूख, हीरा जडाव सुं जडी। जठे जनमिया है आदिनाथ देव, छप्पन करोड का धणी जठे जनमिया है शान्तिनाथ देव, छप्पन करोड का धणी, 74
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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