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सपने में माला देखियाजी, ओ जी पांच वर्ण का फल, सपना लाद्या जी ढलती रात का ॥८॥ छठठे सपने ओ चांद पंवासियांजी, ओ जी असंख्य तारा रे माय, सपना लाद्या जी ढलती रात का ॥९॥ सातवें सपने में सूरज देखियाजी, ओ जी सहस्र किरण रा राय, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१०॥ आठवें सपने में ध्वजा देखियाजी ओ जी चारों ही दिशा लहरया लेय, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥११॥ नवमें सपने में कलश देखियाजी, ओ जी भरियाजी पूरापूर, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१२॥ दसमें सपने में पद्म सरोवर देखियाजी, ओ जी श्वेत कमल तंतसार, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१३॥ ग्यारहवें सपने क्षीर समुद्र देखियाजी, ओ जी, क्षीर को जैसो नीर, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१४।। बारहवें सपने में देवविमान देखियाजी, रुण-झुण घंटा बाजे, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१५॥ तेरहवें सपने में रत्नारी राशि देखिया जो, ओ जी रत्ना सुंभरया भण्डार, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१६॥ चौदह सपने में अग्निशिखा देखियाजी ओ जी दीपती है निधूम, सपना लाद्या है ढलती रात का ॥१७॥ पूत तीर्थकर जन्मसीजी, ओ जी हम कुल तुम आधार, सपना लाद्या जी ढलती रात का ॥१८॥
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