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मिटाये, पाये पद निर्वाण ॥जि०॥ ऋषभ अजित संभव सुखकारी, अभिनन्दन सुमति दिलधारी॥ पदम, सुपारस, ममता मारी, चंदाप्रभु सब मोक्ष विहारी । जन्म मरण सब मेटे इनने, बन गये सिद्ध महान ॥१॥ सुविधि शीतल जैसे चन्दा, श्रेयांस वासपूज्य जिनन्दा ॥ विमल अनन्त धर्म मुनिन्दा, शान्ति प्रभु है अचलानन्दा ॥ भव भ्रमण का दुःख मिटाया, पा कर केवल ज्ञान ॥२॥ कुन्थु अर मल्लि जिन प्यारा, मुनि सुव्रत मनमोहनगारा ॥ नमि नेम पार्श्व सितारा, महावीर शासन सिरदारा । मोक्ष नगर में जाय विराजे, कर आत्म कल्याण ॥३॥ गणधर ग्यारह जगहित कारा, विहरमान है बीस प्यारा अनंत चौवीसी सुख में सारा, गुरुदेव शासन सिरदारा मालेगांव में हरिऋषि कहे, धरो प्रभु का ध्यान ॥४॥
|| सपना ॥
राय सिद्धारथ घर पटराणी, नाम त्रिशला सुलक्षणीजी, राजभवन माहे पलंग पोढ़ता, चवदह सपना रानी देखियाजी ॥१॥ पहले ओ सपने में गयवर देख्यो, दूजो ऋषभ सुहावनो, तीजे सिंह सुलक्षणो देख्यो, चौथे लक्ष्मी देवताजी ॥२॥ पांचवें पंच वर्णी
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