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॥ चौवीसी ॥
( तर्ज : जय बोलो महावीर स्वामी की ) जय बोलो प्यारे जिनवर को
उन विश्व पूज्य तीर्थकर की ॥टेर ॥ श्री ऋषभ अजित संभव स्वामी,
अभिनन्दन जी अन्तरयामी,
उस सुमति पदम परमेश्वर की ॥१॥
सुपार्श्व चन्दाप्रभु ध्याना
श्री सुविधि शीतल को मनाना है,
विमल अनन्त
मल्लि मुनिसुव्रत व्रतकर की ॥३॥
है,
श्रेयांस वासपूज्य प्रभुवर की ॥२॥ श्री धर्मं प्रभु, श्री शान्ति कुन्थु अरहनाथ विभु,
नमि नेम पार्श्व जिनराया,
महावीर का शासन सवाया है,
कौशल्या कुमारी के हितकरकी ॥४॥
॥ चौवीसी ॥
( तर्ज़ : देख तेरे संसार की हालत ) सुबह शाम तुम आवो गावो, प्रभुजी के गुण गान जिनेश्वर चौवीसी भगवान ||टेर || पाप ताप संताप
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