________________
वीरा तो दीक्षा उच्छव मंडाया तो, दीक्षा उच्छव मण्डाया तो, चौंसठ इन्द्र मिल आवियाजी ॥१०॥ संजम पालयो प्रभु कठिन आचार तो, कठिन आचार तो, कर्म खपाय हुआ केवलोजी ॥११॥ चार तो तीरथ स्थाप्या महावीर तो, पावापुरी में मुगते गयाजी ॥१२॥
॥ चौवीसी ।।
(तर्ज : झंडा ऊँचा रहे हमारा) धर्म सूर्य युग-युग के सारे,
जय-जय-जय-तीर्थकर प्यारे ॥टेर।। ऋषभ-अजित-संभव-अभिनन्दन,
__सुमति पदमप्रभु सुपार्श्व चन्दा, सुविधि शीतल शुभ सत्य सहारे ॥१॥
प्रभु श्रेयांस वासपूज्य घ्याये, विमल अनन्त धर्म गुण गाये ।।
शान्ति अखण्ड शान्ति विस्तारे ॥२॥ कुन्थु, अर, मल्लि ब्रह्मचारी,
मुनि सुव्रत नमि प्रभु अवतारी । अरिष्टनेमी है नाथ दुलारे ॥३॥
पारस प्रभु वर्द्धमान सुहाये, महावीर विख्यात कहाये ।
शासनपति श्रद्धेय हमारे ॥४॥