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विनजो-विनजो केसर ने कपूर,
__मेहन्दी रा दोय डाबलाजी ॥५॥
! कलवा ॥ (सर्ज : गुणभर ओरी ने पोढ़िया है गोरी तो) माता त्रिशलादेवीजी बोले वर्द्धमान तो, बोले बर्द्धमान तो, कलेवो करो दिन ऊगियोजी ॥१॥ जल भर झारी हाथ रे मांय तो, दान्तण करोनी जाया वेग सुंजी ॥२॥ माखण रोटी लावो माहरी मांय तो, जलेबी ने दूध भर लावो माहरी माय तो, बाटकोजी ॥३॥ कलेवो तो कोनो माताजी रे हाथ तो, माताजी रे हाथ तो, भावजीरा हाथ सु जीमणोजी ॥४॥ लाड़ ने पेडा तो सरस जलेबी तो, सरस जलेबी तो, घेवरिया तो लावो चिनी खांडरोजी ॥५॥ दोपारी तो करावो माहरी सुदर्शना बहन तो, सुदर्शना बहन तो, गिरी ये गिदोला गूंद पाकरोजी ॥६॥ व्यालु कराओ महारा नाना ओ चेटक राजा, नाना ओ चेटक राजा, दाल चावल ने खिचडोजी ॥७॥ व्याल तो करने बैठा महल मांय तो बैठा महल मांय तो, दिन ऊगा परण घर आवियाजी॥८॥नंदिवर्धन से करे अरदास तो, करे अरदास तो आज्ञा देवो संजम आदरस्यांजी ॥९॥ नंदिवर्धन