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फूलनी माला, छठे चन्द्र अमी झरेजी, सातवें सूरज, आठवीं ध्वजा, नव में कलश अमी भरयोजी ॥३॥ पद्म सरोवर दसवें देख्यो, क्षीर समुद्र देख्यो ग्यारहवांजी, देव विमान बारहवां देख्या, रुणझुण घन्टा बाजंताजी ॥४॥ रत्नांरी राशि तेरहवां देखी, अग्निशिखा देखी चौदहवींजी, चवदह सपना देखी रानीजी जागिया, राय समीपे पहुंचियाजी ॥५॥ सुनो ओ स्वामी मैं तो सपना जी देख्या, पाछली रात रलियावणीजी, राय सिद्धारथ पंडित तेड्या, कहो रे पंडित एहनोजी ॥६॥ हम. कुल मण्डन तुम कुल दीवो, जयवंता तीर्थकर जन्मसीजी, जे नर गावे ते सुख पावे, आनंद रंग बधावनाजी ॥७॥
|| सपना ।। (तर्ज--माहरी रस सहेलडी आज आदेश्वर कोनो) माने सपना दीठा, अरज सुन लीजो माहरा बालमां ॥टेर।। पहले गयवर देखियासरे, दूजे ऋषभ सुलक्षण, तीजे सिंह सुलक्षणोसरे, चौथे लक्ष्मी देवजी ॥१॥ युगल माल फूल की सरे, छठे देखी चन्द । सातवें सूरज देखियासरे, आठवें ध्वजा पतंग ॥२॥ नवमें कलश रत्नां जडियोसरे, दसमें पद्म सरोवर । क्षीर समुद्र ग्यारहवांसरे, बारहवें देवविमानजी ॥३॥